paragraph writing on topic -मित्रता in hindi
Answers
Answer:
mark me as brainlist please
Answer:
मित्रता
मनुष्य सामाजिक प्राणी है । समाज के बिना उसका जीवन नहीं चलता । समाज में रहते हुए उसे अपने सुख-दुख को कहने-सुनने भावनाओं का आदान-प्रदान करने तथा अपने कार्यों को संपादित करते में दूसरों की सहायता की आवश्यकता पड़ती है ।
उसे ऐसे व्यक्ति की भी आवश्यकता पड़ती है जो उसके सुख-दुख में उसका हाथ बाँट सके जिसे वह अपने मन की बात बिना किसी संकोच से कह सके जो कठिनाईयों और बाधाओं में उसका साथ दे जो सही समय पर उसे सही दिशा की ओर प्रवृत कर सके तथा जिस पर वह पूरा विश्वास कर सके ।
ऐसा व्यक्ति ही ‘मित्र’ कहलाता है । भर्तृहरि ने मित्र के गुणों का वर्णन करते हुए कहा है कि: एक अच्छा मित्र पाप से बचाता है अच्छे कामों में लगाता है मित्र के दोषों को छिपाता है और उसके गुणों को प्रकट करता है विपत्ति के समय उसका साथ देता है और समय पड़ने में उसे सहायता भी करता है ।
जब मनुष्य पर मुसीबत के बादल छा जाते हैं चारों ओर से निराशा का अंधकार दृष्टिगोचर होता है तो केवल सच्चा मित्र ही उसके लिए आशा की किरण बनकर सामने आता है । आजकल की मित्रता प्राय स्वार्थवश होती है ।
जब व्यक्ति के पास धन-दौलत और ऐश्वर्य के साधन होते हैं तो अनेक लोग उससे मित्रता करने की लालायित रहते हैं, परंतु विपत्ति पड़ने पर कोई विरला ही साथ देता है और वही सच्चा मित्र कहलाता है । रहीम कवि ने कहा है: कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहुरीत विपत्ति कसौटी जे कसे, ते ही साचे मीत ।
निष्कर्षत: सच्चा मित्र वह कवच है जो विपत्ति में हमारी रक्षा करता है, वह संजीवनी है जो दैन्य और निराशा की स्थिति में उत्साह का संचार करती है एक सघन शीतल छायादार वृक्ष है जो विषय परिस्थतियों में भी शीतलता प्रदान करता है विश्वास की आधारशिला है तथा उन्नति का सोपान है । जो मित्र विपत्ति में साथ न दे उसे तो देखना भी पाप है । गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है: ‘जे न मित्र दुख होहि दुखरी । तिन्हहि विलोकत मारी ।
hope it helps ):