PARAyavaran ka santoolan banae rakhne ke lie kya kya karna chahie?
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वर्तमान में अंधाधुंध कटते पेड़ों के कारण पर्यावरण का संतुलन तेजी से बिगड़ रहा है। यदि हमें जीवित रहना है तो उसके लिए पेड़ों की संख्या में इजाफा करना होगा। हमें पौधरोपण कर उनकी पूरी देखभाल एक बच्चे की तरह कर उसे वृक्ष का आकार देना होगा। यह बातें प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र के प्रमुख राजा कलेक्टर ने पौधरोपण के अवसर पर कहीं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को पौधारोपण पर विशेष ध्यान देना होगा। बढ़ते हुए प्रदूषण से मुक्ति के लिए पौधरोपण अतिआवश्यक है। इस अवसर पर उपस्थित युवकों व बच्चों ने भी पौधरोपण किया।
Answer:
विकास के दौर में वनों के अंधा-धुंध कटान से पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हुआ। ऐसी स्थिति में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण का कार्य सीधे तौर पर तो किसी को व्यक्तिगत लाभ नहीं देती परंतु भविष्य के लिए समूचे क्षेत्र को एक बेहतर पर्यावरण के साथ आजीविका भी प्रदान करने में सक्षम है।
परिचय
शहरी विस्तार एवं विकास ने जो पहला काम किया वह यह कि वनों का विनाश तेजी से होने लगा। एक तरफ तो शहर के विस्तार हेतु वन काटे जाने लगे, दूसरी तरफ सजावटी सामानों के लिए भी वनों का कटान तेजी से होने लगा। इस कटान ने कालांतर में अपना प्रभाव दिखाया और प्रतिकूल मौसम की मार हम सभी झेलने लगे।
सोनभद्र जिले के दक्षिणांचल के विकास खंड-दुद्धी के ग्राम पंचायत नगवा की स्थिति भी कुछ यही रही। आदिवासी बहुल इस गांव के 512 परिवारों के 4675 लोगों की आजीविका एवं जीवनयापन वनोपज पर ही आधारित था। ये आदिवासी परिवार अति निर्धन तथा भूमिहीन होने के कारण आस-पास के जंगलों से ही अपना जीवनयापन करते थे पर वर्ष 1978 से 83 के बीच जंगल का कटान जोरों से हुआ। इसमें वन विभाग, स्थानीय प्रशासन, ठेकेदार, ग्रामीण सभी शामिल रहे। नतीजतन गांव वालों को चूल्हे जलाने के लिए भी लकड़ी मिलनी मुश्किल हो गई। साथ ही जंगल कटने के दूरगामी परिणाम भी सामने आने लगे, जब लोगों को अनियमित मौसमों का सामना करना पड़ा। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए लोगों को पुनः जंगलों की याद आई और उन्होंने इसे पुनर्स्थापित करने की दिशा में प्रयास करना शुरू किया।
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