Parda Uthao Parda girao ki ekanki ka uddeshya spasht kijiye
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पर्दा उठाओ पर्दा गिराओ एकांकी के माध्यम से एकांकीकार उपेंद्र नाथ अश्क का उद्देश्य जीवन की सच्चाई व विसंगतियों को प्रकट करना है। जिस तरह एकांकी में परदा गिरने पर एकांकी के कलाकार आपसी चिंता और तनाव में उलझे होते हैं और पर्दा उठने पर सारा तनाव भूल कर अपना अभिनय करने लगते हैं, ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि जैसे उन्हें कोई परेशानी ही नहीं है। उसी तरह आम जीवन में भी लोग रंगमंच का ही जीवन जीते हैं। उनके अपने जीवन में अनेक तरह की परेशानियां होती है, लेकिन दूसरों के सामने वह ऐसा प्रदर्शित करते हैं जैसे कि उन्हें कोई परेशानी नहीं हो क्योंकि उन्हें मालूम है कि सामने वाला व्यक्ति एकांकी के दर्शक की तरह है, जो केवल मनोरंजन के उद्देश्य से आया है। उसे पर्दे के पीछे की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं। उसी तरह लोगों के जीवन में आने वाले लोग भी को आपके निजी परेशानियों से कोई सरोकार नहीं होता। लेखक ने यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि समाज में हर व्यक्ति एक रंगमंच के पात्र की तरह का जीवन जीता है।