Hindi, asked by ashokpatil2253, 9 months ago

Pariched padhkar prashna tayar kijiye 'दार्जिलिंग का पुराना नाम दोर्जीलिंग था। सदियों पहले यह एक छोटा-सा गाँव था। चाय के शौकीन
अंग्रेजों ने इस क्षेत्र की आबोहवा को चाय की खेती के योग्य पाकर यहाँ चाय बागान विकसित किए। हैप्पी
वैली टी इस्टेट से निकलकर हम हिमालय पर्वतारोहण संस्थान पहुँचे। हिमालय के शिखरों को छू लेने की चाह
रखने वालों को यहाँ पर्वतारोहण का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसकी स्थापना एव्हरेस्ट पर पहली विजय के बाद
की गई है। शेरपा तेनसिंह लंबे अरसे तक इस संस्थान के निदेशक रहे। संस्थान में एक महत्त्वपूर्ण संग्रहालय
भी है। इसमें पर्वतारोहण के दौरान उपयोग में आने वाले नए-पुराने उपकरण, पोशाकें, कई पर्वतारोहियों की
यादगार वस्तुएँ और रोमांचक चित्र प्रदर्शित किए गए हैं। इसके निकट ही स्थित है ‘पद्मजा नायडू हिमालय
चिड़ियाघर' जो बच्चों को ही नहीं, बड़ों को भी बहुत पसंद आता है। पर्वतों पर रहने वाले कई दुर्लभ प्राणी
यहाँ देखने को मिलते हैं।'

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Answered by archanakhe98india
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दार्जिलिंग का पुराना नाम क्या था?

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