Hindi, asked by indubhushan051971, 1 year ago

Parishram hi Unnati aur safalta ka Aadhar hai par anuched

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Answered by AbsorbingMan
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परिश्रम वह कुंजी है जो सफलता के द्वार खोलती है| इतिहास गवाह है कि बिना परिश्रम किये आज तक कोई ऊंचाई पर नहीं पंहुचा है| महान वैज्ञानिक कलाम साहब, हरगोविंद खुराना, जे सी बोस, रमन आदि हो या मशहूर खिलाडी मेजर ध्यानचंद, सचिन तेंदुलकर, विश्वनाथन आनंद, सायना नेहवाल; इन सभी की सफलता का राज कठिन परिश्रम और सतत अभ्यास है|

इस शीर्ष तक पहुचने के लिए उन्होंने निजी स्वार्थ और भौतिकतावाद का त्याग किया तब वो देश को ये सम्मान दिला पाए और स्वयं एक मिसाल बने| प्रसिद्ध कविता है “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती|” एक चीटी तक प्रयास नहीं छोडती| कभी निराश नहीं होती, थकती नहीं तो हम तो मनुष्य है जिन्हें ईश्वर ने बुद्धि प्रदान करके सबसे श्रेष्ठ बनाया है| प्रसिद्ध लेखक शिव खेडा ने लिखा है कि जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते, वे उसी काम को अलग ढंग से करते है| उदाहरण के लिए परीक्षा में लाखों विद्यार्थी बैठते है पर टॉप इने-गिने ही करते हैं|

पाठ्यक्रम और पुस्तकें सभी की एक जैसी है पर परिश्रम परिणाम बदल देती है| जो नियमित अभ्यास करता है, रात- दिन मेहनत करता है वही सफलता का वरण करता है या कहें कि सफलता उसे चुनती है| ‘करत-करत अभ्यास के जडमति होत सुजान’ ये उक्ति उनके लिए प्रेरणास्त्रोत है जो स्वयं अपने भाग्य निर्धारक होते है| अत: सभी को ये स्मरण रखना चाहिए कि मेहनत सफल होने का  प्रथम सोपान भी है और भावी निर्धारक भी|

Answered by tiger2625
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मानव जीवन में परिश्रम बहुत आवश्यक है। परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। परिश्रम द्वारा छोटे से छोटा मनुष्य बड़ा बन सकता है। परिश्रम के द्वारा सभी कार्य सम्भव हैं। यदि मनुष्य कोई भी काम कठोर परिश्रम एवं दृढ़ संकल्प लेकर करता है तो वह उस काम में सफलता अवश्य पाता है।

जीवन के प्राचीन युग से लेकर आधुनिक युग तक ग्राम-नगरों का विकास, अनेक उपकरणों एवं मशीनों का शिल्प लेकर वायुयान तक का निर्माण परिश्रम द्वारा ही सम्भव हुआ है। संसार में मानव अधिक परिश्रम कर अपनी तकदीर बदल सकता है।

विभिन्न अर्थशास्त्रिष्यों एवं इतिहासकारों द्वारा परिश्रम को ही जीवन का सार माना गया है। संसार की किसी भी वस्तु का निर्माण परिश्रम बिना सम्भव नहीं है। परिश्रमी व्यक्ति को दूसरों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती, वह अपना कार्य स्वंय कर लेते हैं।

आज मानव ने परिश्रम के द्वारा संसार में स्वर्ग उतारने की कल्पना को साकार कर दिया हैं | कठोर परिश्रम करके ही मानव ने अनेक आविष्कार किये हैं जो मानव जीवन में बहुत उपयोगी हैं। मनुष्य के मनोरंजन ने दूरदर्शन, सिनेमा, मोबाइल, कम्प्यूटर एवं अनेक प्रकार के मनोरंजन के साधनों का आविष्कार किया है। ये सब केवल परिश्रम द्वारा ही सम्भव हो सकता है। यदि मानव परिश्रम नहीं करेगा तो वह सरल से सरल काम को भी कठिनाई से पूर्ण करेगा। परिश्रमी मनुष्य कभी भी भूखा नहीं रह सकता। परिश्रमी व्यक्ति के लिए सफलता उसकी दासी के रूप में होती है।

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