Parishram safalta Ki Kunji Hai nibandh in Hindi
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परिश्रम ही सफलता की कुंजी है
संस्कृत की प्रसिद्ध सूक्ति है- उद्यमेन ही सिध्यंति कार्याणि न मनोरथः। अर्थात परिश्रम से ही कार्य की सिद्धि होती है। मात्र इच्छा करने से नहीं। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम ही एकमात्र मंत्र है। श्रमेव जयते का सूत्र इसी भाव की ओर संकेत करता है। परिश्रम के बिना हरी-भरी खेती सुखकर झाड़ बन जाती है जबकि परिश्रम से बंजर भूमि को भी उपजाऊ बनाया जा सकता है। कठिन कार्य भी परिश्रम के बल पर संपन्न किए जा सकते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति कितना ही प्रतिभाशाली हो किंतु उन्हें लक्ष्य में सफलता तभी मिलती है जब वह अपनी बुद्धि और प्रतिभा को परिश्रम की सान पर तेज़ करते हैं। ना जाने कितनी संभावनाओं के बीच पानी मिट्टी सिंचाई अधिकारी के अभाव में मिट्टी बन जाते हैं जबकि ठीक संपोषण प्राप्त करके कई बीज सोना भी बन जाते हैं। कई बार प्रतिभा के अभाव में परिश्रम ही अपना रंग दिखाता है। प्रसिद्ध उक्ति है कि निरंतर घिसने से पत्थर पर भी चिन्ह पड़ जाते हैं। जड़मति व्यक्ति परिश्रम द्वारा ज्ञान को प्राप्त कर लेता है। जहां परिश्रम तथा प्रतिभा दोनों एकत्रित हो जाते हैं वहां किसी अद्भुत कृति का निर्माण होता है। शेक्सपियर ने महानता को दो श्रेणियों में विभक्त किया है - जन्मजात महानता तथा अर्जित महानता। यह अर्जित महानता परिश्रम के बल पर ही अर्जित की जाती है। तथा जिन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं है उन्हें अपने श्रम बल का भरोसा रख कर कार्य में लग जाना चाहिए।