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Answer:तापमान में तेजी से बदलाव आना
पूरी दुनिया में कुल मिलाकर गर्मी बढ़ रही है. लेकिन कुछ इलाकों में ठंड बढ़ रही है. वर्ल्ड मटेरिओलोजिकल आर्गेनाईजेशन के अनुसार १९९० का दशक सबसे गर्म दशक रहा है और पिछले एक हज़ार सालों में बीसवीं सदी दुनिया में अबतक सबसे गर्म सदी रही है. इस तेजी से बढ़ते तापमान के कारण इंसानों और अन्य जीव जंतुओं की जिन्दगी पर और पर्यावरण पर बहुत सारे बुरे असर पड़ने वाले हैं. इसी कारण अब दुनिया भर के लिए के लिए एक चिंता का विषय बन गया है.
मौसम के भीषण रूप
अधिकाँश वैज्ञानिक मानते हैं कि जलवायु के धीरे धीरे गर्म होने से मौसम के भीषण रूप सामने आयेंगे. जैसे कि बहुत तेज बारिश, सूखा, बाढ़, तूफ़ान, तेज गर्मी इत्यादी. दक्षिण एशिया में हिमालय की बर्फीली चट्टानें जिन्हें हिमशैल या ग्लेशियर भी कहा जाता है, वे तेजी से पिघ्लेंगी और इससे गंगा और इसके जैसी दूसरी नदियों में पानी की कमी हो जायेगी. इसी सन्दर्भ में २००३ में ये घोषणा की गयी है कि जलवायु परिवर्तन के कारण भयानक मौसम की घटनाओं में बढ़ोतरी होने वाली है.
महा-चक्रवात
जिस तरह से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है उसके हिसाब से आने वाले वर्षों में सूर्य की ऊर्जा बहुत तेजी से हमारे वायुमंडल और धरती पर कैद होने लगेगी. इसका असर ये होगा कि बहुत तेज तूफ़ान, महा चक्रवात अंधड़ और आंधी के साथ बारिश की घटनाएँ बढेंगी.
पारिस्थितिकीय तन्त्र
किसी स्थान पर पेड़ पौधे और जीव जंतु मिलाकर एक जटिल तंत्र बनाते हैं इसे पारिस्थितिकीय तन्त्र कहते हैं. एक पारिस्थितिकीय तंत्र कच्छ के रेगिस्तान जितना बड़ा और एक तालाब या पोखर जितना छोटा हो सकता है. असल में एकदूसरे पर निर्भर जीवों और पौधों के एक जटिल तंत्र को ही पारिस्थितिकीय तंत्र कहते हैं. इसमें शिकारी शिकार पर निर्भर होता है और शिकार पेड़ पौधों पर निर्भर होता है. आखिर में शिकारी भी मरकर पेड़ पौधों के लिए भोजन बन जाता है. इस तरह एक लम्बे चक्र में पूरा तंत्र चक्रण करता है. इस तंत्र के लिए जलवायु बहुत महत्वपूर्ण होती है. उससे ही इस तन्त्र के अंदर और बाहर भोजन, पानी, सुरक्षा आदि चीजें तय होती हैं. इस तरह जलवायु बदलने के कारण इनमे भी बदलाव आता है और इस तन्त्र पर बुरा असर पड़ने लगता है. इंसान भी ऐसे पारिस्तितिक तंत्रों पर बहुत सारे कारणों से निर्भर करता है, क्योंकि इनसे इंसानों को भोजन, लकड़ी, पानी, औषधियां और बहुत सारी चीजें मिलती हैं.
समुद्र का बढ़ता स्तर
गर्म होने पर पानी फैलता है और जैसे जैसे ध्रुवों की बर्फ पिघलती जा रही है वैसे वैसे समुद्रों का जल स्तर बढ़ रहा है. इसके कारण छोटे छोटे द्वीप समूह जो समुद्रों में यहाँ वहां फैले हुए हैं वे समुद्र के पानी में डूब जायेंगे. वर्ल्ड वाच इंस्टिट्यूट के अनुसार धरती पर फ़ैली बर्फ की चादर पहले की तुलना में अब कहीं तेजी से पिघल रही है और इसके कारण समुद्रों के किनारे या बड़ी नदियों के किनारे बसे इलाके पानी में डूबने लगेंगे और इससे बहुत बड़ी संख्या में इंसानी आबादी को नुक्सान होगा.
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