paropkar par poem in hindi
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खुद के जख्मों की नहीं परवाह, हम भी सिरफिरे, दुसरे के घाव पर मरहम लगाने आ गए। इस कदर मशगूल थे, यह जिंदगानी का सफ़र, कुछ पता ही ना चला, अपने ठिकाने आ गए।
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23
नदीप्रारंभ करती है
अपनी जीवन यात्रा |
दोनों ओर,
जीने की आशा ,
और परोपकार का उद्देश्य
रुपीतटों को साथ लेकर |
अनवरत चलती रहती है,
वगैर किसी स्वार्थ के ,
सभी की प्यास बुझाते हुए |
बाधाएं आती है ,
रास्ता रोकने के लिए ,परन्तु
असफल रहे
किये गए सभी प्रयास
उनके ,
और नदी पाती है आशातीत सफलता |
सभी रुकावटों को तोड़कर
एकाकी वगैर किसी सहायता
के औरजब अंत आया तोइसी
आशा से कीशायद
कम कर सके खारापन ,
सागर का ,
अर्पण कर मीठा जल अपना ,
खो देती है अस्तित्व
विलीन होकर
सागर की गहराइयों में |
यही तो है ,कहानी
प्रत्येक महापुरुष की
उपकारस्व - का नहींपर का उपकार
परोपकार
hope it is useful.....
ĺakshita
अपनी जीवन यात्रा |
दोनों ओर,
जीने की आशा ,
और परोपकार का उद्देश्य
रुपीतटों को साथ लेकर |
अनवरत चलती रहती है,
वगैर किसी स्वार्थ के ,
सभी की प्यास बुझाते हुए |
बाधाएं आती है ,
रास्ता रोकने के लिए ,परन्तु
असफल रहे
किये गए सभी प्रयास
उनके ,
और नदी पाती है आशातीत सफलता |
सभी रुकावटों को तोड़कर
एकाकी वगैर किसी सहायता
के औरजब अंत आया तोइसी
आशा से कीशायद
कम कर सके खारापन ,
सागर का ,
अर्पण कर मीठा जल अपना ,
खो देती है अस्तित्व
विलीन होकर
सागर की गहराइयों में |
यही तो है ,कहानी
प्रत्येक महापुरुष की
उपकारस्व - का नहींपर का उपकार
परोपकार
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ĺakshita
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