Parshuram ke Updesh Kavita Mein desh wasiyo ko swadhinta ke liye Sangharsh ki Prerna De Gayi aaj ke sandarbh mein kya Aaya Kavita prasangik hai udaharan sahit Sidh kijiye
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परशुराम के उपदेश कविता में देशवासियों को स्वाधीनता के संघर्ष की प्रेरणा दी गई है आज के संदर्भ में क्या यह कविता प्रासंगिक है उदाहरण दीजिए...।
जी हाँ, ये कविता आज के समय में भी प्रासंगिक है। परशुराम के उपदेश कविता में देशवासियों का स्वाधीनता से संघर्ष करने की प्रेरणा दी गई है। कहने को तो हमने अंग्रेजों की पराधीनता से संघर्ष करके स्वाधीनता हासिल कर ली लेकिन हम आज भी पूरी तरह स्वतंत्र नही हो पाये हैं। हम किसी न किसी रूप में किसी न किसी बंधन से जकड़े हुये हैं।
कहीं पर महिलाओं के प्रति असमानता का बंधन है। कहीं पर हम धर्म की बेड़ियों में जकड़े हैं तो कहीं पर हम जाति की बेड़ियों में जकड़े हैं। कहीं पर हम गरीबी की जंजीरों में जकड़े हैं तो कहीं पर हम पिछड़ी और पुरानी सोच से बाहर नहीं निकल पाए हैं।
हमने भले ही प्रशासनिक रूप से स्वतंत्रता हासिल कर ली हो लेकिन वैचारिक और सांस्कृतिक रूप से हम आज भी पूरी तरह स्वतंत्र नही हो पाये हैं। हमें जीवन के हर क्षेत्र में स्वतंत्रता और स्वाधीनता पानी होगी इसके लिये हमें निरंतर संघर्ष करते रहना होगा। अतः ये कविता आज के समय में भी प्रासंगिक है।