Parshuram shiv ko kya maante the
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बागपत के बालैनी में पुरा महादेव का परशुरामेश्वर मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है, जिसकी बहुत मान्यता है। श्रावण और फाल्गुन मास की शिवरात्रि में यहां लाखों लोग महादेव का जलाभिषेक करते हैं और अपने परिवार की सुख, समृद्धि की कामना करते हैं। दोनों ही शिवरात्रि पर यहां भव्य मेले भी लगते हैं।
उत्तरप्रदेश के जिला बागपत स्थित पुरा गांव में हिंडन नदी के किनारे एक बड़ा टीला था। किवदंती है कि उस टीले पर ऋषि जमदग्नि और उनकी पत्नी रेनूका निवास करते थे। उनके यहां पुत्र के रूप में एक संतान ने जन्म लिया, जिसका नाम उन्होंने परशुराम रखा। परशुराम बचपन से ही धार्मिक प्रवृति के थे। युवा अवस्था में पहुंचते-पहुंचते वे भगवान शिव के अन्नय भक्त बन गए। वे हर समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में लीन रहते थे। परशुराम की आराधना से प्रसन्न होकर एक दिन भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा।
परशुराम ने भगवान शिव से दो वचन मांगे, एक वचन में उन्होंने अपनी मां को पुन: जीवित करने और दूसरे में मानव कल्याण का वरदान मांगा। कहा जाता है कि परशुराम द्वारा मांगे गए वचनों से प्रसन्न होकर भगवान शिव भी टीले पर ही शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए।
तभी से यहां पर श्रावण माह की शिवरात्रि और फाल्गुन माह की महाशिवरात्रि पर यहां धार्मिक मेले लगते हैं।
श्रावण मास की शिवरात्रि पर तो शिवभक्त हरिद्वार और गोमुख से गंगाजल लाकर भगवान आशुतोष का अभिषेक करते हैं। साथ ही दूर-दूर से आए लाखों श्रद्धालू भी शिवलिंग पर दुध, बेल पत्र और फल पर जल चढ़ाते
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