Parvat Pradesh Me Pavas' kavita ka pratipadhya spasht kareye?
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इस कविता में पंत जी ने पर्वतीय क्षेत्र का वर्णन करते हुए कहा है कि यहाँ का सौन्दर्य अद्भुत है। यहां कि प्रकृति हर समय अपना रूप बदलती है। ऊंची पहाड़, जलाशय, तने हुए पेड़, पहाड़ों से कल-कल करते झरने, आकाश में छाए बादल आदि रूपों में प्रकृति अपनी मनोरम छवि दिखा रही है।
कवि प्रकृति के सौन्दर्य का वर्णन करते हैं और अपनी लेखनी के माध्यम से पाठक को बांधे रखते हैं। हिन्दी में पावस का अर्थ होता वर्षाकाल। शीर्षक का आशय भी यही है कि पर्वतों में वर्षाकाल का समय।
कवि प्रकृति के सौन्दर्य का वर्णन करते हैं और अपनी लेखनी के माध्यम से पाठक को बांधे रखते हैं। हिन्दी में पावस का अर्थ होता वर्षाकाल। शीर्षक का आशय भी यही है कि पर्वतों में वर्षाकाल का समय।
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