Paryatan ko mahatva auta sangbad
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पर्यटन का अर्थ है- मनोरंजन एवं आनंद के उद्देश्य से चारों ओर घूमना। मानव जन्मजात स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है। अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए आरम्भ से ही वह दूरदराज और दुर्गम स्थानों की यात्रा करता आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि आदिमानव का जीवन पर्यटनशील और घुमक्कड़ ही था। वह कभी एक स्थान पर टिककर नहीं रहता था। तब जीवन आज की तरह विकसित न थी और न ही आज की तरह जीवन और जीविका के साधन ही किसी एक स्थान पर उपलब्ध थे।
इसके लिए भी उसे दूरदराज की यात्राएँ करनी पड़ती थी। किंतु माना जाता है कि इससे भी बढ़कर यात्रा या पर्यटन करने के मूल में उसकी जिज्ञासा -वृत्ति ही थी ।यह वृत्ति और इसकी पूर्ति का अनवरत प्रयास आज का विकसित एवं सुख साधनों से संपन्न जीवन है। इस तथ्य को प्रायः सभी बुद्धिमान स्वीकार करते हैं। आधुनिक पर्यटन की प्रवृत्ति और उसके एक राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकास पाने के मूल में भी व्यक्ति की जिज्ञासा ,नई -नई खोजें करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति ही कही जा सकती है।