Hindi, asked by sambhav8476, 1 year ago

paryavan se judha hamara future

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Answered by singhalseema03p9uwqn
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विज्ञापन--अब अगर हम आज की तस्वीर देखते हैं तो विज्ञापनों की हमारी दुनिया में हर-रोज ही परिवर्तन हो रहे हैं. आप ध्यान से देखें तो ये बदलाव आपको बैचेन करता दिखेगा.

अभी हाल ही में बैंक एक्सिस ने अपना एक नया एड लोंच किया, जिसमें एक मां अपने ही बेटे को शादी से पहले अलग फ्लैट में रहने को बोल रही है। जिससे आपके समाज कार्य स्वरुप हमें दिखता है।

विज्ञापनों के अनेक प्रकार होते हैं | सामाजिक विज्ञापनों के अंतर्गत दहेज, नशा, परिवार-नियोजन आदि संदेश आते हैं | विभिन्न कार्यक्रमों, रैलियों, आंदोलनों के विज्ञापन भी इसके अंतर्गत आते हैं | कुछ विज्ञापन विवाह, नौकरी, संपति की खरीद-बेच सम्बन्धी होते हैं |

मनुष्य कौन-सा माल खरीदे-इसमें विज्ञापनों की भूमिका सबसे बड़ी होती है | कोई भी व्यक्ति दुकान पर खड़ा होकर विविध वस्तुओं में से प्रसिद्ध वस्तुओं को ही चुन पाता है | चाहे बाजार में कितने भी श्रेष्ठ साबुन उपलब्ध हों, किन्तु ग्राहक उन्हीं को खरीदता है जिसका उनसे विज्ञापन सुना है | जब मनुष्य बहुत सारी विविधताओं में फस जाता है तो विज्ञापन ही निर्णय करने में सहायक होते हैं |

हमें विज्ञापन देखकर जानकारी अवश्य लेनी चाहिए परन्तु विज्ञापनों को देखकर वस्तुएँ नहीं लेनी चाहिए । विज्ञापनों में जो दिखाया जाता है, वे शत – प्रतिशत सही नहीं होता । विज्ञापन हमारी सहायता करते हैं कि बाजार में किस प्रकार की सामग्री आ गई हैं । हमें विज्ञापनों द्वारा वस्तुओं की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं । विज्ञापन ग्राहक और निर्माता के बीच कड़ी का काम करते हैं ।

निष्कर्ष यह है कि विज्ञापनों में समाज की प्रभावित करने की अदभुत शक्ति है | ये सरकार, व्यापर तथा समाज के लिए वरदान हैं | परंतु गलत हाथों में पड़कर इसका दुरुपयोग भी हो सकता है | इस दुरुपयोग से बचा जाना चाहिए |

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