CBSE BOARD X, asked by mongkul9815, 1 year ago

Paryavaran jagrukta par nibandh ya phir Vigyapan.

Answers

Answered by harshamishra
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पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है, जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास अर्थात  जो हमारे चारों ओर है, और "आवरण" जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की कुल इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं।
पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं  । जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।
सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं प र्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।  इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है,  जो कि अन्योन्याश्रि‍त है।
मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण।  यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है। 
पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। 

Answered by Priatouri
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पर्यावरणीय जागरूकता |

Explanation:

पर्यावरणीय जागरूकता से हमारा अर्थ एक ऐसी जागरूकता से है जिसमें हम अपने पर्यावरण में होने वाले प्रयोगों के लिए जागरूक रहें। हम मानवों के लिए अपने पर्यावरण के लिए अब जागरूक होने की आवश्यकता आ गई है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता आज के विश्व की जरूरत बन गई है।

पिछले कई दशकों में हमने पर्यावरण में मौजूद लगभग सभी संसाधनों का जमकर उपयोग किया है। यह कहना कतई गलत नहीं होगा कि हमने पर्यावरणीय संसाधनों का दुरुपयोग किया है क्योंकि हमने अपने विकास के लिए पृथ्वी में मौजूद सभी संसाधनों का जरूरत से अधिक उपयोग किया है। संसाधनों के उपयोग के साथ-साथ हमने पृथ्वी पर मौजूद सभी संसाधनों के स्रोतों को प्रदूषित भी किया है जैसे नदियां (जल स्रोत) स्वच्छ वायु आदि।  

हमने प्लास्टिक और पॉलिथीन का उपयोग इतना अधिक किया है कि अब यह हमारे जीवन के लिए हानिकारक साबित हो रही है। पर्यावरण प्रदूषित होने के कारण पृथ्वी पर मौजूद जीव जंतुओं के साथ-साथ मानव भी अपने अंत काल की ओर बढ़ रहा है।  

विभिन्न प्रकार के पॉलिथीन और प्लास्टिक के सामान खाने से जल में रहने वाले पशुओं के साथ-साथ स्थल पर रहने वाले पशु भी मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं। पृथ्वी मैं मौजूद जंगलों की कटाई भी पर्यावरणीय प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। मनुष्य ने अपने आवास स्थल बनाने के लिए पेड़ों की अंधाधुंध कटाई प्रारंभ कर दी है जिस वजह से अब प्रकृति में संतुलन कायम नहीं रह पा रहा है।  

पर्यावरणीय प्रदूषण एकमात्र ऐसा कारक है जिसकी वजह से हमें पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने की आवश्यकता पड़ रही है। यदि हमने समय रहते पर्यावरणीय मुद्दों पर गौर देना शुरू नहीं किया तो हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी के संसाधन खत्म हो जाएंगे।

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