India Languages, asked by Ujagar8167, 1 year ago

paryavaran sanrakshan adhiniyam

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Answered by Manjeet7777
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पर्यावरण (रक्षा) अधिनियम 1986 एक व्‍यापक विधान है इसकी रूप रेखा केन्‍द्रीय सरकार के विभिन्‍न केन्‍द्रीय और राज्‍य प्राधिकरणों के क्रियाकलापों के समन्‍वयन के लिए तैयार किया गया है जिनकी स्‍थापना पिछले कानूनों के तहत की गई है जैसाकि जल अधिनियम और वायु अधिनियम। मानव पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने एवं पेड़-पौधे और सम्‍पत्ति का छोड़कर मानव जाति को आपदा से बचाने के लिए ईपीए पारित किया गया, यह केन्‍द्र सरकार का पर्यावरणीय गुणवत्ता की रक्षा करने और सुधारने, सभी स्रोतों से प्रदूषण नियंत्रण का नियंत्रण और कम करने और पर्यावरणीय आधार पर किसी औद्योगिक सुविधा की स्‍थापना करना/संचालन करना निषेध या प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है।

ईपीए की संभावना व्‍यापक है पर्यावरण की परिभाषा में जल, वायु, भूमि और जल, वायु, भूमि और मानव जाति के और अन्‍य जीवित जीव-जन्‍तु वनस्‍पति, सूक्ष्‍म जीव एवं सम्‍पत्ति के बीच मौजूद परस्‍पर संबंध शामिल है। कानून आपदा जनक अपशिष्‍ट आपदाजनक अपशिष्‍ट प्रबंधन और प्रचालनों संबंधी भी नियम लागू करता है। अधिनियम में संचालकों, प्राधिकृत करने की परिस्थितियां, निपटान स्‍थलों की स्थितियां, आपदाजनक अपशिष्‍ट आयात करने के नियमों, दुर्घटनाओं की सूचना देना, पैकेजिंग और लेबलिंग अपेक्षाएं और संभावित संचालकों के लिए अपील करने की प्रक्रिया जिन्‍हें प्राधिकृत नहीं किया गया है, को भी पारिभाषित किया गया है। नियमों के विनिर्माण आपदाजनक और नशीले रसायनों का भण्‍डारण और आयात सूक्ष्‍म जीवों, प्रजनन रूप से इंजीनियरिंग जीवों या सेलों पर लागू किया गया है।
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