Paryavaran santulan Ke uchit sujhav dete Hue Apne Mitra ko 150 Shabd mein Patra likhen
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जैसा कि हम सभी पर्यावरण के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, पर्यावरण वह है जो व्यावहारिक रूप से हमारे चारों ओर है और पृथ्वी पर हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। हवा हम हर पल सांस लेते हैं, कि जो पानी हम अपनी दिनचर्या, पौधों, जानवरों और अन्य जीवित चीजों में उपयोग करते हैं, वे पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं। जब प्राकृतिक चक्र बिना किसी गड़बड़ी के जारी रहता है, तो इसे पर्यावरण के अनुकूल स्वस्थ वातावरण कहा जाता है। प्रकृति के संतुलन में कोई भी बाधा मानव जीवन को नष्ट करने वाले पर्यावरण को पूरी तरह से प्रभावित करती है।
जीवन की उन्नत गुणवत्ता, प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वनों की कटाई, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, अम्ल वर्षा और अन्य प्रगतिशील आपदाओं के युग में हमारे प्रदूषण से बहुत प्रभावित हो सकते हैं। चला गया। हम सभी को अपने प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करने और इसे यथासंभव सुरक्षित रखने की शपथ लेनी चाहिए।
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पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है,
मानव प्रकृति को नष्ट कर रहा है।
आज पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण है ,
मनुष्य द्वारा किया जाने वाला प्रदूषण है।
मानव द्वारा नदियों में गिराया जाता है गंदा जल,
उसी जल को पीकर रोग ग्रस्त होते सभी जन।
मानव द्वारा लगाए गए कल-कारखाने से निकलती विषैली गैसें,
जिससे थम रही हैं लोगों की जीवन की सांसे।
लोग सड़क पर कूड़ा कचरा फेंक रहे हैं,
उसी कचरे से उत्पन्न कीटाणु हमें बीमार कर रहे हैं।
आज लोगों ने फिर किया अपना जीवन असुरक्षित,
जिन वृक्षों से होता था हमारा जीवन रक्षित।
आज उन्ही पर मानव ने चलवाई है आरी,
वृक्षों की अंधाधुंध कटाई है जारी।
इसी कारण वायुमंडल में आक्सीजन कम हो रही है,
और कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है।
अगर मानव को करना है अपना जीवन सुरक्षित,
तो पहले करना होगा पर्यावरण को संरक्षित।
अधिक से अधिक करो वृक्षारोपण,
तो शुद्ध होगा ये वातावरण।
'पर्यावरण बचाओ अभियान'की करो शरुआत,
'वृक्ष लगाओ,जीवन बचाओ'जन-जन तक पहुँचे ये बात।
लक्ष्मी का है यही निवेदन,
बनाए रखना पर्यावरण संतुलन।
#SPJ2