Geography, asked by dadarohit776, 1 year ago

पश्चिम हिमालय ,पूर्व हिमालय , पंजाब-हरियाणा मैदान ,थराचे वाळवंट ,पश्चिम घाट ,पूर्व घाट हे भारताच्या नाकशेत कुठे आहे

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Answered by akbarhussain26
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Answer:

भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृंखला को पश्चिमी घाट या सह्याद्रि कहते हैं। दक्‍कनी पठार के पश्चिमी किनारे के साथ-साथ यह पर्वतीय श्रृंखला उत्‍तर से दक्षिण की तरफ 1600 किलोमीटर लम्‍बी है। विश्‍व में जैविकीय विवधता के लिए यह बहुत महत्‍वपूर्ण है और इस दृष्टि से विश्‍व में इसका 8वां स्थान है। यह गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्‍त हो जाती है। वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिमी घाट क्षेत्र के 39 स्‍थानों को विश्व धरोहर स्‍थल घोषित किया है।"[1][2]

पश्चिमी घाट का संस्कृत नाम सह्याद्रि पर्वत है। यह पर्वतश्रेणी महाराष्ट्र में कुंदाइबारी दर्रे से आरंभ होकर, तट के समांतर, सागरतट से ३० किमी से लेकर १०० किमी के अंतर से लगभग ४,००० फुट तक ऊँची दक्षिण की ओर जाती है। यह श्रेणी कोंकण के निम्न प्रदेश एवं लगभग २,००० फुट ऊँचे दकन के पठार को एक दूसरे से विभक्त करती है। इसपर कई इतिहासप्रसिद्ध किले बने हैं। कुंदाईबारी दर्रा भरुच तथा दकन पठार के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग है। इससे कई बड़ी बड़ी नदियाँ निकलकर पूर्व की ओर बहती हैं। इसमें थाल घाट, भोर घाट, पाल घाट तीन प्रसिद्ध दर्रे हैं। थाल घाट से होकर बंबई-आगरा-मार्ग जाता है। कलसूबाई चोटी सबसे ऊँची (५,४२७ फुट) चोटी है। भोर घाट से बंबई-पूना मार्ग गुजरता है। इन दर्रो के अलावा जरसोपा, कोल्लुर, होसंगादी, आगुंबी, बूँध, मंजराबाद[3] एवं विसाली आदि दर्रे हैं। अंत में दक्षिण में जाकर यह श्रेणी पूर्वी घाट पहाड़ से नीलगिरि के पठार के रूप में मिल जाती है। इसी पठार पर पहाड़ी सैरगाह ओत्तकमंदु स्थित है, जो सागरतल से ७,००० फुट की ऊँचाई पर बसा है। नीलगिरि पठार के दक्षिण में प्रसिद्ध दर्रा पालघाट है। यह दर्रा २५ किमी चौड़ा तथा सगरतल से १,००० फुट ऊँचा है। केरल-मद्रास का संबंध इसी दर्रे से है। इस दर्रे के दक्षिण में यह श्रेणी पुन: ऊँची हाकर अन्नाईमलाई पहाड़ी के रूप में चलती है। पाल घाट के दक्षिण में श्रेणी की पूर्वी पश्चिमी दोनों ढालें खड़ी हैं। पश्चिमी घाट में सुंदर सुंदर दृश्य देखने को मिलती हैं। जंगलों में शिकार भी खेला जाता है। प्राचीन समय से यातायात की बाधा के कारण इस श्रेणी के पूर्व एवं पश्चिम के भागों के लोगों की बोली, रहन सहन आदि में बड़ा अंतर है। यहाँ कई जंगली जातियाँ भी रहती हैं।पश्चिमी घाट डेक्कन पठार के पहाड़ी गलती और क्षीण किनारे हैं। भूगर्भीय सबूत बताते हैं कि वे लगभग 150 मिलियन वर्ष पहले गोंडवाना के महाद्वीप के टूटने के दौरान गठित हुए थे। भूगर्भीय सबूत बताते हैं कि मेडागास्कर से तोड़ने के बाद भारत का पश्चिमी तट 100 से 80 मीरा के आसपास कहीं भी आया था। ब्रेक-अप के बाद, भारत का पश्चिमी तट ऊंचाई में कुछ 1,000 मीटर (3,300 फीट) अचानक चट्टान के रूप में दिखाई देगा। बेसल्ट 3 किमी (2 मील) की मोटाई तक पहुंचने वाली पहाड़ियों में पाया जाने वाला प्रमुख चट्टान है। पाए गए अन्य रॉक प्रकारों में क्रोनोलाइट्स, ग्रेनाइट गनीस, खोंडालाइट्स, लेप्टाइनाइट्स, क्रिस्टलीय चूना पत्थर, लौह अयस्क, डोलराइट्स और एनर्थोसाइट्स की अलग-अलग घटनाओं के साथ मेटामोर्फिक गनीस होते हैं। दक्षिणी पहाड़ियों में अवशिष्ट पार्श्व और बॉक्साइट अयस्क भी पाए जाते हैं

Answered by geetaghatol702055
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Answer:

I try to give you clear image but my mobile camera

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