Hindi, asked by rani29022004, 8 months ago

पशु-पक्षियों ,पेड़ पौधों तथा समस्त प्रकृति के साथ स्नेह के साथ सह संबंध बनाकर रहना मनुष्य का नैतिक कर्तव्य है। गिल्लू पाठ के आधार पर अपने विचार रखते हुए विवेचन कीजिए

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Answered by shishir303
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पशु-पक्षी, पेड़-पौधे और समस्त प्रकृति के साथ स्नेह के सह-संबंध बनाकर रखना मनुष्य का नैतिक कर्तव्य बनता है क्योंकि प्रकृति के जो भी प्राणी हैं, पेड़-पौधें है, या प्रकृति की जो भी संरचनाएं हैं, वह सब आपस में एक दूसरे से जुड़ी हुई है और किसी एक का प्रभाव दूसरे पर अवश्य पड़ता है। ऐसे में यदि मनुष्य पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों तथा प्रकृति के अन्य तत्वों के साथ स्नेह संबंध बनाकर रखेगा तो यह उसके लिए परम हितकारी रहेगा।

प्रकृति में जितने भी प्राणी हैं, पेड़-पौधें है, वह पर्यावरण के जैविक चक्र को बनाते हैं। यह जैविक चक्र ही प्रकृति में एक संतुलन स्थापित करता है। इस जैविक चक्र के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ पर्यावरण का संतुलन बिगड़ सकती है, जो प्रकृति में अस्थिरता पैदा करेगा। ये अस्थिरता मनुष्य के लिए भी हितकारी नहीं है।

प्रकृति के जितने भी प्राणी हैं, सब को जीने का हक है और प्रकृति में जो भी पेड़-पौधे हैं, वो भी प्राणियों के लिये जीवनदायी हैं। इन प्राणियो या पेड़-पौधों से किसी भी तरह का निर्मम व्यवहार करना मनुष्य का न तो मूल स्वाभाव है और ना ही ये मनुष्य के हित में है।

जिस तरह गिल्लू पाठ में लेखिका महादेवी वर्मा ने एक निरीह प्राणी गिलहरी की संकट के समय रक्षा की उसका उपचार किया, उसे पाला-पोसा, उसे नाम दिया, उससे यही सिद्ध होता है कि मानव के स्वभाव में अभी भी करूणा और दया है। मानव का मूल स्वभाव करूणा, दया और ममता से भरा है। ऐसी कोई परिस्थिति आने पर मानव में सहज ही ये भाव उत्पन्न हो जाते हैं। इस पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों व समस्त प्रकृति के साथ सह-संबंध बनाकर रखना मनुष्य का नैतिक कर्तव्य है।

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