पतंग नमक कविता का केंद्रीय भाव अपने शब्दो में लिखिए
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कविता का केन्द्रीय भाव :- पाठ्यपुस्तक में ली गई कविता पतंग आलोक धन्वा के एकमात्र संग्रह का हिस्सा है। यह एक लंबी कविता है जिसके तीसरे भाग को पाठ्यपुस्तक में शामिल किया गया है। पतंग के बहाने इस कविता में बालसुलभ इच्छाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण किया गया है। बाल क्रियाकलापों एवं प्रकृति में आए परिवर्तन को अभिव्यक्त करने के लिए सुंदर बिंबों का उपयोग किया गया है। पतंग बच्चों की उमंगों का रंग-बिरंगा सपना है। आसमान में उड़ती हुई पतंग ऊँचाइयों की वे हदें हैं, बालमन जिन्हें छूना चाहता है और उसके पार जाना चाहता है।
कविता धीरे-धीरे बिंबों की एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं जहाँ शरद ऋतु का चमकीला इशारा है, जहाँ तितलियों की रंगीन दुनिया है, दिशाओं के मृदंग बजते हैं। जहाँ छतों के ख़तरनाक किनारों से गिरने का भय है तो दूसरी ओर भय पर विजय पाते बच्चे हैं जो गिर-गिरकर सँभलते हैं और पृथ्वी का हर कोना ख़ुद-ब-ख़ुद उनके पास आ जाता है। वे हर बार नयी-नयी पतंगों को सबसे ऊँचा उड़ाने का हौसला लिए फिर-फिर भादो (अँधेरे) के बाद के शरद ( उजाला) की प्रतीक्षा कर रहे हैं। क्या भी उनके साथ हैं ?
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