पत्र लेखन की विधि बताएं।
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पत्र लेखन के दो प्रकार हैं। पहला औचारिक और दूसरा अनौपचरिक।
१) औचारिक पत्र - इसके अंतर्गत प्रार्थना पत्र , व्यवसायिक पत्र और कार्यालयीन पत्र आते है ।
नए नियमो के अनुसार औचारिक पत्र का प्रारूप :-
दिनांक - _____।
प्रति - ______।
विषय - ______।
संदर्भ - ______।
महोदय,
विषय विवेचन - _____।
भवदीय - ______।
नाम - ____।
पता - _____।
ई - मेल - ______।
_______________________________
२) अनौपचारिक पत्र
इसके अंतर्गत मित्र , रिश्तेदार, परिवार के सदस्यों को लिखे जाने वाले पत्र सम्मिलित जाते है ।
१. यह पत्र स्वाभाविक बातचीत की शैली में लिखा होना चाहिए ।
२. इसमें सामान्य शिष्टाचार का पालन होना चाहिए।
३. किसी भी प्रकार के अपशब्द बिल्कुल नहीं होने चाहिए ।
नए नियमो के अनुसार , औचारिक पत्र का प्रारूप :
दिनांक : ______।
संबोधन : ______।
अभिवादन : _____।
प्रारम्भ : _______।
विषय विवेचन : ______।
समापन : ______।
नाम : ______।
पता : _______।
ई मेल आईडी : ______|
धन्यवाद!
Bebrainly!!
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According to the syllabus of ICSE board.
अनौपचारिक पत्रों के लिए :
1. पता : सबसे ऊपर लिखने वाले का नाम व पता |
2. दिनांक : जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस की तारीख | पते के बाद, उसके नीचे |
3. विषय : ( सिर्फ औपचारिक पत्रों में, अनौपचारिक पत्रों में विषय का प्रयोग नहीं किया जाता है |
4. संबोधन : जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार संबोधन करना | ( जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य, पूजनीय, पूज्य, आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग करना वह छोटा के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग करना चाहिए )
5. अभिवादन : जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार ; जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि |
6. मुख्य विषय : मुख्य विषय की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए : - " हम/मैं यहां कुशल पूर्वक हैं, आशा करता हूं कि आप भी वहां कुशल पूर्वक होंगे अभी कुछ दिन पहले आपका पत्र मिला" |
7. समाप्ति : अपने पत्र की समाप्ति से पहले, कुछ वाक्य अपने परिवार व सबंधियों के कुशलता के लिए लिखने चाहिए जैसे कि : - "मेरी तरफ से बड़ों को प्रणाम, छोटों को आशीर्वाद व प्यार | उसके पश्चात अपना उनके साथ संबंध जैसे : आपका पुत्र, आपकी पुत्री, आपकी की भतीजी आदि" |
औपचारिक पत्रों के लिए :
1. पता : "सेवा मैं" लिखकर, जिसको पत्र लिखा जा रहा है उसका पता |
2. दिनांक : सबसे नीचे यानी पत्र के अंत में |
3. विषय : जिस विषय में पत्र लिखा जा रहा है ( छोटे रूप में )
4. संबोधन : अनौपचारिक पत्रों की तरह इसमें पूजनीय, आदरणीय आदि शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए | केवल महोदय, महोदया आदि से पत्र की शुरुआत करनी चाहिए |
5. मुख्य विषय : "सविनय निवेदन है कि" से वाक्य आरंभ करन| चाहिए |
6. अंत में : धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय, भवदीय|, प्रार्थी लिखकर अपना पूरा नाम व पता लिखना चाहिए |
अनौपचारिक पत्रों के लिए :
1. पता : सबसे ऊपर लिखने वाले का नाम व पता |
2. दिनांक : जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस की तारीख | पते के बाद, उसके नीचे |
3. विषय : ( सिर्फ औपचारिक पत्रों में, अनौपचारिक पत्रों में विषय का प्रयोग नहीं किया जाता है |
4. संबोधन : जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार संबोधन करना | ( जैसे कि बड़ों के लिए पूजनीय, पूज्य, पूजनीय, पूज्य, आदरणीय आदि के शब्दों का प्रयोग करना वह छोटा के लिए प्रिय, प्रियवर, स्नेही आदि का प्रयोग करना चाहिए )
5. अभिवादन : जिस को पत्र लिखा जा रहा है उसके साथ संबंध के अनुसार ; जैसे कि सादर प्रणाम, चरण स्पर्श, नमस्ते, नमस्कार, मधुर प्यार आदि |
6. मुख्य विषय : मुख्य विषय की शुरुआत कुछ इस प्रकार होनी चाहिए : - " हम/मैं यहां कुशल पूर्वक हैं, आशा करता हूं कि आप भी वहां कुशल पूर्वक होंगे अभी कुछ दिन पहले आपका पत्र मिला" |
7. समाप्ति : अपने पत्र की समाप्ति से पहले, कुछ वाक्य अपने परिवार व सबंधियों के कुशलता के लिए लिखने चाहिए जैसे कि : - "मेरी तरफ से बड़ों को प्रणाम, छोटों को आशीर्वाद व प्यार | उसके पश्चात अपना उनके साथ संबंध जैसे : आपका पुत्र, आपकी पुत्री, आपकी की भतीजी आदि" |
औपचारिक पत्रों के लिए :
1. पता : "सेवा मैं" लिखकर, जिसको पत्र लिखा जा रहा है उसका पता |
2. दिनांक : सबसे नीचे यानी पत्र के अंत में |
3. विषय : जिस विषय में पत्र लिखा जा रहा है ( छोटे रूप में )
4. संबोधन : अनौपचारिक पत्रों की तरह इसमें पूजनीय, आदरणीय आदि शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए | केवल महोदय, महोदया आदि से पत्र की शुरुआत करनी चाहिए |
5. मुख्य विषय : "सविनय निवेदन है कि" से वाक्य आरंभ करन| चाहिए |
6. अंत में : धन्यवाद या कष्ट के लिए क्षमा जैसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए और अंत में भवदीय, भवदीय|, प्रार्थी लिखकर अपना पूरा नाम व पता लिखना चाहिए |
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