पत्र-मुद्रा किसे कहते हैं ? पत्र-मुद्रा के गुण-दोषों की विवेचना कीजिए ।
Answers
कागजी नोटों को निगर्मीत मुद्रा को पत्र- मुद्रा काहा जाता हे।
पत्र मुद्रा के दोष-
☆नष्ट होने का खतरा- पत्र मुद्रा के अंतर्गत सदैव कागज़ के नोटों के गलने, फटने, जलने आदि का भय बना रहता है आग, बर्षा, पानी आदि से इसके शीघ्र नष्ट हो जाने की संभावना बनी रहती है
☆ मुद्रा पूर्ति में परिवर्तन- पत्र मुद्रा के अंतर्गत मुद्रा पूर्ति में आसानी से परिवर्तन किया जा सकता है अर्थात पत्र मुद्रा की मात्रा में आसानी से कमी या वृद्धि की जा सकती है इस कमी या वृद्धि का प्रभाव इसके मूल पर पड़ता है और पत्र मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी या वृद्धि होती रहती है
☆विमुद्रीकरण का भय- सरकार कभी भी पत्र मुद्रा का विमुद्रीकरण कर सकती है विमुद्रीकरण होने पर जनता को अत्यधिक कठिन हानि उठानी पड़ती है क्योंकि ऐसी दशा में पत्र मुद्रा का कुछ भी मूल नहीं रहता था पत्र मुद्रा पर सरकार का नियंत्रण होने के कारण जनता को सदैव ही विमुद्रीकरण का भय बना रहता है।
पत्र मुद्रा के गुण निम्न है-
1. पत्र मुद्रा बहुत हल्की होती है। सुविधा पूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान तक कम समय में ले जाया जा सकता है। इस कारण पत्र मुद्रा में वहनीयता का गुण पाया जाता है।
2. पत्र मुद्रा के चलन से बहुमूल्य धातु की बचत होती है। इस धातु का प्रयोग अन्य कार्यों में किया जा सकता है।
3. पत्र मुद्रा में लोचता पाई जाती है पत्र मुद्रा में आवश्यकतानुसार कमी या वृद्धि की जा सकती है।
4. पत्र मुद्रा के चलन से धातु के सिक्के चलन में नहीं होते हैं। या कम होते हैं। इससे सिक्कों की घिसावट बचती है।
5. पत्र मुद्रा को गिनने तथा परखने में सुविधा होती है। इस प्रकार पत्र मुद्रा उपयोग में सुविधाजनक है।
6. पत्र मुद्रा अधिक सुरक्षित होती है। चोरी की स्थिति में चोरी किए गए नोटों को नंबरों की सहायता से पहचाना जा सकता है। पत्र मुद्रा को छुपा कर रखने में भी सुविधा रहती है।
7. पत्र मुद्रा को संकट कालीन मित्र माना जाता है। सरकार युद्ध अथवा विकास कार्यों के लिए पत्र मुद्रा छापकर संकट को दूर कर सकती है।