पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
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पत्र किसी दस्तावेज़ से कम नहीं है। आज पत्र अनेक संकलनों के रुप में देखे जा सकते हैं। ‘पंत के दो सौ पत्र बच्चन के नाम ‘ और ‘निराला’ के पत्र ‘हमको लिख्यौ है कहां’ तथा ‘पत्रों के आइने में दयानंद सरस्वती’ सहित कई पुस्तकें हमें धरोहर के रूप में देखने को मिल जाती हैं। पत्रों का यह दिलचस्प संकलन धरोहर हैं लेकिन एसएमएस धरोहर नहीं हो सकते। एक तो इन्हें संभाल कर रखना कठिन है दूसरा इनके द्वारा अपने विचारों को विस्तृत रूप से प्रस्तुत करना संभव नहीं है इसलिए पत्र धरोहर हो सकते हैं जो जीवन को गतिशील बनाने का कार्य करते हैं लेकिन एसएमएस नहीं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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पत्र व्यक्ति की स्वयं की हस्तलिपि में होते हैं, जो कि प्रियजन को अधिक संवेदित करते हैं। हम जितने चाहे उतने पत्रों को धरोहर के रूप में समेट कर रख सकते हैं जबकि एसएमएस को मोबाइल में सहेज कर रखने की क्षमता ज़्यादा समय तक नहीं होती है। एसएमएस को जल्द ही भुला दिया जाता है। पत्र देश, काल, समाज को जानने का साधन रहा है। दुनिया के तमाम संग्रहालयों में जानी-मानी हस्तियों के पत्रों का अनूठा संकलन भी है।
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