पथिक की क्या विशेषता है?
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पथिक' कविता में दुनिया के दुखों से विरक्त काव्य नायक पथिक की प्रकृति के सौंदर्य पर मुग्ध होकर वहीं बसने की इच्छा का वर्णन किया है। यहाँ वह किसी साधु द्वारा संदेश ग्रहण करके देशसेवा का व्रत लेता है। राजा उसे मृत्युदंड देता है, परंतु उसकी कीर्ति समाज में बनी रहती है।
पथिक की विशेषता ये है कि वह लक्ष्य तक पहुंचे बिना विश्राम नहीं करता। सच्चा पथिक वही है, जो अपने पथ पर निरंतर अग्रसर रहे, सदा गतिशील रहे और अपने लक्ष्य को वेध सके। जब तक वो अपने लक्ष्य को नहीं पा लेता तब तक वह रुकता नहीं है, वही पथिक है।
कवि के अनुसार पथिक लक्ष्य के वेधे जाने वाले बाण के समान है। जहाँ एक बार बाण धनुष से निकल जाए तो वह अपने लक्ष्य को वेधता ही है। उसी तरह पथिक एक बार अपने लक्ष्य को पाने के लिए निकल पड़े तो उसे अपने लक्ष्य तक पहुंच कर ही विश्राम करना चाहिए।
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