पद का मूल भाव क्या है?
कवि ने 'गहिरी नदिया' किसे कहा है?
कवि को ईश्वर क्या मारकर जगाता है?
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पद का मूल भाव: प्रस्तुत पद मे कचव रैदास कहते हैचक चजसके मन मे ही भगवान के प्रचत प्रेम और भक्ति लगन लग जाए तो फिर यह नहीं छूटती। रैदास भी भगवान का संम्बन्ध बताते हुए कहते हैं चक भगवान हर हाल, हर काल मे सववक्षेष्ठ है और उनकी भक्ति तथा संपकव में आने से भि मैं भी उनके गुण समाचहत होने लगते हैं।
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कवि को ईश्वर क्या मार कर चुका था
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