पद में मीठे फल का आनंद लेने वाला कौन है ?
Answers
ये प्रश्न सूरदास के पद से संबंधित है, वो पद इस प्रकार है...
अबिगत-गति कछु कहत न आवै।
ज्यौं गूंगे मीठे फल को रस, अंतरगत ही भावै।।
परम स्वाद सबही सु निरंतर अमित तोष उपजावै।
मन-बानी कौं अगम-अगोचर, सो जानैं जो पावै।।
रूप-रेख-गुन जाति-जुगति-बिनु, निरालंब कित धावै।
सब बिधि अगम बिचारहिं तातें, सूर सगुन-पद गावै।।
इस पद में सूरदास ने मीठे फल का आनंद लेने वाला व्यक्ति गूंगे को बताया है।
सूरदास ने प्रभु की भक्ति तुलना करते हुये बताया है कि जिस प्रकार गूंगा व्यक्ति मीठे फल को खा तो लेता है लेकिन उसके आनंद को शब्दों में व्यक्त नही कर सकता क्योंकि वो बोल नही सकता। वो केवल उस आनंद को महसूस ही कर सकता है। उसी तरह प्रभु की भक्ति के आनंद को शब्दों द्वारा व्यक्त नही किया जा सकता और उस आनंद को केवल महसूस ही किया जा सकता है।
अतः सूरदास के पद में मीठे फल का आनंद लेने वाला गूंगा व्यक्ति है।
Explanation:
पद में मीठे फल का आनंद लेने वाला कौन है