Hindi, asked by shraddhahingne, 6 months ago

पथ मेरा आलोकित कर दो स्वाध्याय

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Answered by trupti0001
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Explanation:

पथ मेरा आलोकित कर दो

नवल प्रातः की नवल रश्मियों से

मेरे उर का ताम हर दो

मैं नन्हा - सा पथिक विश्व के

पथ पर चलना सीख रहा हूँ

मैं नन्हा -सा विहग विश्व के

नभ में उड़ना सिख रहा हूँ

पहुंच सकूँ निर्दिष्ट लक्ष्य तक

मुझको ऐसे पग दो,पर दो।।

पाया जग से जितना अब तक

और अभी जितना मैं पाऊं

मनोकामना है यह मेरी

उससे कहीं अधिक दे जाऊं।

धरती को ही स्वर्ग बनाने का

मुझको मंगलमय वर दो ।।

लेखक - द्वारिका प्रसाद महेश्वरी

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