पद्मावती सौ कहेहु, विहंगम, कन्त लोभाई रही करि संगम।
तोहि चैन सुख मिलै सरीरा, मो कहँ हिये दुंद दुख पीरा।
हमहुँ बियाही संग ओहि पीऊ, आपुहि पाइ जानु पर जीऊ।
अबहुँ मया करू, करू जिय फेरा, मोहि जियाउ कत देइ मेरा।
मोहि भोग सौं काज न बारी, सोंह दीठि कै चाहन हारी।
सवति न होई तू बैरिनि, मोर कन्त जेहि हाथ।
आनि मिलाव एक बेर, तोर पाँय मोर हाथ।।
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which language not able to understand what is the meaning
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