पद-परिचयं दीयताम
please answer in sanskrit.
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शब्द – एक से अधिक वर्णों के मेल से बने सार्थक वर्ण – समूह शब्द कहलाते हैं ; जैसे – सोहन , खीर , मीरा , खेलता , शतरंज इत्यादि |
पद – जब कोई शब्द स्वतंत्र न रहकर व्याकरण के नियमों में बँध जाता है , तब वह शब्द ‘पद’ बन जाता है |
कारक , वचन ,लिंग ,पुरुष इत्यादि में बँधकर शब्द ‘पद’ बन जाता है |
इस प्रकार वाक्य में प्रयुक्त शब्द ही ‘पद’ है |
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पद-परिचय- वाक्य में प्रयुक्त पदों का विस्तृत व्याकरणिक परिचय देना ही पद-परिचय कहलाता है।
पदों का परिचय देते समय निम्नलिखित बातें बताना आवश्यक होता है –
- संज्ञा –तीनों भेद, लिंग, वचन, कारक क्रिया के साथ संबंध।
- सर्वनाम -सर्वनाम के भेद, पुरुष, लिंग, वचन, कारक, क्रिया से संबंध।
- विशेषण -विशेषण के भेद, लिंग, वचन और उसका विशेष्य।
- क्रिया -क्रिया के भेद, लिंग, वचन, पुरुष, काल, वाच्य,धातु कर्म और कर्ता का उल्लेख।
- क्रियाविशेषण -क्रियाविशेषण का भेद तथा जिसकी विशेषता बताई जा रही है, का उल्लेख।
- समुच्चयबोधक -भेद, जिन शब्दों या पदों को मिला रहा है, का उल्लेख।
- संबंधबोधक -भेद, जिसके साथ संबंध बताया जा रहा है, का उल्लेख।
- विस्मयादिबोधक -हर्ष, भाव, शोक, घृणा, विस्मय आदि किसी एक भाव का निर्देश।
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