Hindi, asked by pushpasonkar74, 5 hours ago

पद्यांनी मानीकरण किया गया है जिनका वे

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Answered by ITZURADITYAKING
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Answer:

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Explanation:

पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों? इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने शहरीय स्वार्थपूर्ण रिश्तों पर प्रहार कर अपना आक्रोश व्यक्त किया है। कवि के अनुसार नगर के लोग आपसी प्रेमभाव के स्थान पर पैसों को अधिक महत्त्व देते हैं। वे प्रेम और सौंदर्य से दूर, प्रकृति से कटे हुए होते हैं।

Answered by smartbarbie
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Answer:

सुमिरौं आदि एक करतारू । जेहि जिउ दीन्ह कीन्ह संसारू ॥

कीन्हेसि प्रथम जोति परकासू । कीन्हेसि तेहि पिरीत कैलासू ॥

कीन्हेसि अगिनि, पवन, जल खेहा । कीन्हेसि बहुतै रंग उरेहा ॥

कीन्हेसि धरती, सरग, पतारू । कीन्हेसि बरन बरन औतारू ॥

कीन्हेसि दिन, दिनअर, ससि, राती । कीन्हेसि नखत, तराइन-पाँती ॥

कीन्हेसि धूप, सीउ औ छाँहा । कीन्हेसि मेघ, बीजु तेहिं माँहा ॥

कीन्हेसि सप्त मही बरम्हंडा । कीन्हेसि भुवन चौदहो खंडा ॥

कीन्ह सबै अस जाकर दूसर छाज न काहि ।

पहिलै ताकर नावँ लै कथा करौं औगाहि ॥1॥

कीन्हेसि सात समुन्द अपारा । कीन्हेसि मेरु, खिखिंद पहारा ॥

कीन्हेसि नदी नार, औ झरना । कीन्हेसि मगर मच्छ बहु बरना ॥

कीन्हेसि सीप, मोती जेहि भरे । कीन्हेसि बहुतै नग निरमरे ॥

कीन्हेसि बनखँढ औ जरि मूरी । कीन्हेसि तरिवर तार खजूरी ॥

कीन्हेसि साउज आरन रहईं । कीन्हेसि पंखि उडहिं जहँ चहईं ॥

कीन्हेसि बरन सेत ओ स्यामा । कीन्हेसि भूख नींद बिसरामा ॥

कीन्हेसि पान फूल बहु भौगू । कीन्हेसि बहु ओषद, बहु रोगू ॥

निमिख न लाग करत ओहि,सबै कीन्ह पल एक ।

गगन अंतरिख राखा बाज खंभ बिनु टेक ॥2॥

कीन्हेसि अगर कसतुरी बेना । कीन्हेसि भीमसेन औ चीना ॥

कीन्हेसि नाग, जो मुख विष बसा । कीन्हेसि मंत्र, हरै जेहि डसा ॥

कीन्हेसि अमृत , जियै जो पाए । कीन्हेसि बिक्ख, मीचु जेहि खाए ॥

कीन्हेसि ऊख मीठ-रस-भरी । कीन्हेसि करू-बेल बहु फरी ॥

कीन्हेसि मधु लावै लै माखी । कीन्हेसि भौंर, पंखि औ पाँखी ॥

कीन्हेसि लोबा इंदुर चाँटी । कीन्हेसि बहुत रहहिं खनि माटी ॥

कीन्हेसि राकस भूत परेता । कीन्हेसि भोकस देव दएता ॥

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