पद्यांश को पढ़कर प्रश्न का उत्तर दीजिए रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव। जाने कबसुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार। पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे। जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे॥ 6. पद्यांश में कच्चे धागे की रस्सी किसे कहा गया है ? *
कपड़े के धागे को
कच्चे सकोरे को
भवसागर को
जीवन , जीवन जीने के साधनों को
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पद्यांश में कच्चे धागे की रस्सी कच्चे सकोरे को कहा गया है |
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