Hindi, asked by purimamta138, 16 days ago

(पढ़ने का आनंद) विषय पर अनुच्छेद लेखन​

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Answered by Prakjita
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मनुष्य की कर्मेन्द्रियाँ व ज्ञानेन्द्रियाँ किसी-न-किसी व्यापार में लीन रहकर और उसका सुख भोग कर होती रहती हैं। जिस प्रकार स्वादिष्ट आहार जिह्वा को सुख देता है, सुन्दर दृश्य नयनों की प्यास बुझाते हैं और मधुर स्वर लहरी कानों को अच्छी लगती है। उसी प्रकार अध्ययन मस्तिष्क का खाद्यान्न है। इसी को ग्रहण करने के बाद संतुष्टि का अनुभव करता है। मन के विकारों को अध्ययन से दूर किया जा सकता है। सत्साहित्य के द्वारा चरित्र का निर्माण होता है। सच्चरित्रता की समाज में सराहना की जाती है। यह सब कुछ अध्ययन के आनन्द के परिणामस्वरूप ही आता है।अध्ययन का आधार है सत्साहित्य। इससे मन बहलता है और आनन्द की प्राप्ति होती है। यदि हम अपने जीवन का वास्तविक व सच्चा प्रतिबिम्ब देखना चाहते हैं, तो सदा इसको अंगीकार करना पड़ेगा; पर यह व्यक्ति विशेष की रुचि एवं संस्कारों पर निर्भर रहता है। लोकनायक तुलसीदास का ‘रामचरितमानस’ या ‘विनयपत्रिका’ भक्ति व धर्म की भावना से ओतप्रोत है। इससे भी ऐसे रस की निष्पत्ति होती है जो आनन्द का जनक कहलाता है। पाठक इनको पढ़ते-पढ़ते राममय हो जाता है। वह श्रीराम के चरित्र से जीवन को संघर्ष से जीना सीखता है।

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Answered by venom0136
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(पढ़ने का आनंद) विषय पर अनुच्छेद लेखन

पुस्तकों को पढ़ने से मस्तिष्क में नए विचारों का उदय होता है तथा मनुष्य की सृजन शक्ति को बढ़ावा मिलता है। पुस्तकों को पढ़ने से हमारी अपनी सभ्यता, संस्कृति व साहित्य से साक्षात्कार होता है। पुस्तकों को पढ़ने से हमारे ज्ञान में वृधि होती है। मन, मस्तिष्क और आत्मा की भी तृप्ति होती है तथा शांति भी प्राप्त होती है।

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