Phli baar loksbha mai evm voting mshine ka use kiya gya
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ईवीएम के इतिहास में साल 2004 क्रांतिकारी साल रहा है। देश भर के सभी मतदान केंद्रों पर 17.5 लाख ईवीएम का इस्तेमाल हुआ। ईवीएम के साथ ही भारत ई-लोकतंत्र में बदल गया। उसके बाद से सारे चुनाव ईवीएम से होने लगे। एक ईवीएम में ज्यादा से ज्यादा 64 उम्मीदवारों के लिए वोटिंग की जा सकती है। दरअसल एक बैलटिंग यूनिट में 16 कैंडिडेट्स के लिए वोटिंग की जा सकती है और एक कंट्रोल यूनिट से 4 से ज्यादा बैलटिंग यूनिट को नहीं जोड़ा सकता है। अगर उम्मीदवारों की संख्या 64 से ज्यादा होती है तो फिर चुनाव आयोग को बैलट से चुनाव कराना पड़ सकता है।
एक ईवीएम में सिर्फ 3,840 वोट डाला जा सकता है। दरअसल भारत में एक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1,500 से ज्यादा नहीं होती है। इस हिसाब से एक ईवीएम मशीन एक मतदान केंद्र के लिए पर्याप्त होती है। साल 1983 के बाद कुछ सालों तक ईवीएम का इस्तेमाल नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कानूनी प्रावधान का आदेश दिया था। दिसंबर 1988 में संसद ने कानून में संशोधन किया और रेप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल ऐक्ट, 1951 में सेक्शन 61ए को जोड़ा। इस सेक्शन से चुनाव आयोग को चुनाव में वोटिंग मशीन इस्तेमाल करने की ताकत मिली। 1989-90 में जिन ईवीएम का निर्माण हुआ था, उनका इस्तेमाल नवंबर 1998 के विधानसभा चुनावों में हुआ। इसे मध्य प्रदेश के 5, राजस्थान के 6 और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल के 6 विधानसभा क्षेत्रों में प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया गया था।