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Basant Ritu
अनेक ऋतुओं में हर ऋतु अलग विशेषता ले कर आती है। इनमें से वसंत को ‘ऋतुराज’ कहा जाता है। इसका कारण यह है कि वसंत में प्रकृति की सुंदरता देखते ही बनती है।
फरवरी और मार्च, वसंत ऋतु के मुख्य मास हैं। शीत ऋतु का प्रभाव कम होने से जीवन पुन: गति में आ जाता है। इस ऋतु में दिन-रात लगभग समान होते हैं। पेड़ों पर नए पत्ते आने लगते हैं। पक्षी भी ठंड के बाद चहचहा कर आकाश में इधर-उधर उड़ने लगते हैं। रंग-बिरंगे फूल, बगीचों के सौंदर्य में चार चाँद लगाते हैं। सुंदर तितलियाँ भी फूलों पर नाचती दिखाई पड़ती हैं।
वसंत ऋतु में ताजी, सुगंधित हवा में सुबह की सैर बहुत उत्साहित करती है। न अधिक गरमी होती है और न अधिक सरदी, अत: शरीर खुला। महसूस होता है।
वसंत ऋतु में वसंत पंचमी का त्योहार आता है। इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं, मेलों का आयोजन करते हैं और पतंगबाजी भी होती है। इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती का पूजन कर, पीला हलवा भी बाँटते हैं।
वसंत ऋतु उत्साह, उमंग और उल्लास की ऋतु है। कवि इस ऋतु की सुंदरता अनेक कविताओं द्वारा स्पष्ट करते हैं। मैं भी अपने बगीचे में कई रंगों के फूल लगाकर मोहित होता हूँ।