Hindi, asked by Handwash333, 1 month ago

Please answer all these take your time but dont answer unnecessarily or it will be reported​

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Answered by rabariaastha2095
1

And:

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला हिन्दी के छायावादी युग के एक सशक्त हस्ताक्षर हैं, यद्यपि छायावाद से संबंध रखने के बाद भी उनकी कविताएं यथार्थ के अधिक निकट हैं। निराला का जन्म पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में 21 फरवरी 1896 को हुआ था। महाप्रयाण निराला का देहांत 15 अक्टूबर 1961 को हुआ। निराला की पुण्यतिथि पर उनके द्वारा रचित परिमल की प्रस्तुत हैं चुनिंदा पंक्तियां...

मित्र के प्रति

कहते हो, ‘‘नीरस यह

बन्द करो गान

कहाँ छन्द, कहाँ भाव

कहाँ यहाँ प्राण ?

था सर प्राचीन सरस

सारस-हँसों से हँस

वारिज-वारिज में बस

रहा विवश प्यार

जल-तरंग ध्वनि, कलकल

बजा तट-मृदंग सदल

पैंगें भर पवन कुशल

गाती मल्लार।’’

मौन

बैठ लें कुछ देर

आओ,एक पथ के पथिक-से

प्रिय, अंत और अनन्त के

तम-गहन-जीवन घेर

मौन मधु हो जाए

भाषा मूकता की आड़ में

मन सरलता की बाढ़ में

जल-बिन्दु सा बह जाए

सरल अति स्वच्छ्न्द

जीवन, प्रात के लघुपात से

उत्थान-पतनाघात से

रह जाए चुप,निर्द्वन्द

रे, न कुछ हुआ तो क्या ?

रे, कुछ न हुआ, तो क्या ?

जग धोका, तो रो क्या ?

सब छाया से छाया,

नभ नीला दिखलाया,

तू घटा और बढ़ा

और गया और आया;

होता क्या, फिर हो क्या ?

रे, कुछ न हुआ तो क्या ?

धूलि में तुम मुझे भर दो

धूलि में तुम मुझे भर दो।

धूलि-धूसर जो हुए पर

उन्हीं के वर वरण कर दो

दूर हो अभिमान, संशय,

वर्ण-आश्रम-गत महामय,

जाति-जीवन हो निरामय

वह सदाशयता प्रखर दो।

फूल जो तुमने खिलाया,

सदल क्षिति में ला मिलाया,

मरण से जीवन दिलाया सुकर जो वह मुझे वर दो!

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