History, asked by shruti720, 1 year ago

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Answered by mohitpandya18
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शिशुपाल कृष्ण की बुआ का लड़का था। दमघोष के कुल में जब शिशुपाल का जन्म हुआ तब उसके तीन नेत्र तथा चार भुजाएं थीं। वह गधे की तरह रो रहा था। माता-पिता त्रस्त होकर उसका परित्याग कर देना चाहते थे। तभी आकाशवाणी हुई कि बालक बहुत वीर होगा तथा उसकी मृत्यु का कारण वह व्यक्ति होगा जिसकी गोद में जाने पर बालक अपने भाल-स्थित नेत्र तथा दो भुजाओं का परित्याग कर देगा। उसके जन्म के विषय में जानकर अनेक राजा उसे देखने आये। शिशुपाल के पिता ने बारी-बारी से सभी की गोद में बालक दिया। अंत में शिशुपाल के ममेरे भाई श्रीकृष्ण की गोद में जाते ही उसकी दो भुजाएं पृथ्वी पर गिर गयीं तथा ललाटवर्ती नेत्र ललाट में विलीन हो गया। बालक की माता ने दुखी होकर श्रीकृष्ण से उसके प्राणों की भीख मांगी। श्रीकृष्ण ने उसके सौ अपराध क्षमा करने का वचन दिया। कालांतर में शिशुपाल ने अनेक बार अपराध किये तथा गोविंद ने उसे क्षमा किया। युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ के लिए आमन्त्रण मिलने पर सभी राजा इन्द्रप्रस्थ में इकट्ठा हुए। आमन्त्रित अतिथियों में भीष्म की आज्ञा से युधिष्ठिर ने सर्वप्रथम श्रीकृष्ण को अर्ध्य समर्पित किया (श्रीकृष्ण की अग्रपूजा की)। यह देखकर शिशुपाल को बहुत क्रोध आया। उसने कहा कि कृष्ण वृष्णिवंशी हैं, कहीं के राजा नहीं। सर्वप्रथम उन्हें अर्ध्य अर्पित करने पर शेष सबका अपमान होता है। सबके समझाने पर भी शिशुपाल अपनी बात पर अड़ा रहा तथा कुछ राजाओं के साथ वहां से चले जाने की धमकी भी देने लगा। अंत में उसने कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा। कृष्ण ने सबके सम्मुख, यह स्पष्ट करते हुए कि वे शिशुपाल के सौ अपराध पहले ही क्षमा कर चुके हैं और यह उसका एक सौ एकवां अपराध है, उसे सुदर्शन चक्र से मार डाला। शिशुपाल के मृत शरीर का परित्याग कर एक प्रकाश-पुंज आकाश की ओर उठा। उस प्रकाश-पुंज ने श्रीकृष्ण को प्रणाम किया तथा फिर उन्हीं में विलीन हो गया। पांडवों ने शिशुपाल का अंत्येष्टि संस्कार किया तथा उसके पुत्र का राज्याभिषेक किया।

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Answered by geniusgirl26
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shishupal ka cash Shri Krishna me kiya

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