Please answer fast, and don't spam
Attachments:
Answers
Answered by
0
Answer:
- सेकंड क्लास के जिस डिब्बे में नवाब साहब अब तक अकेले बैठे थे वहाँ अचानक लेखक के आ जाने से उनके एकांत चिंतन में विघ्न पड़ गया। उसके बारे में लेखक ने यह अनुमान लगाया कि ये भी शायद किसी कहानी के लिए नई सूझ में होंगे या खीरे जैसी साधारण वस्तु खाने के संकोच में पड़ गए होंगे।
- नवाब साहब ने लेखक को आदाब-अर्ज़ कर खीरा खाने के लिये कहा। इस कथन से नवाब साहब की शराफत और तहज़ीब का पता चलता हैं। वे चीजें बांट कर खाने की आदत भी रखते हैं।
- नई कहानी और लखनवी अदा अंदाज में एक सबसे महत्वपूर्ण समानता यह है कि जिस प्रकार लखनवी अंदाज में नवाब खीरा खाने की तैयारी करता है लेकिन उसे सूंघकर ही खिड़की से बाहर फेंक देता है और अपना पेट भर लेता है उसी प्रकार बिना पात्रों घटनाओं और विचारों के भी स्वतंत्र रूप से लिखी जा सकती है।
- नवाब के व्यवहार को देखकर लेखक के मन में नवाब के नवाबी सनक संबंधी तरह-तरह के विचार आए। जैसे कि नवाब साहब ट्रेन में अकेले यात्रा करना चाहते थे। दूसरी बात वह किसी से बातचीत नहीं करना चाहते थे । इस तरह से लेखक को नवाब के व्यवहार में खानदानी तहजीब, नवाबी तरीका, नजाकत और नफासत के भाव पूरी तरह फरे हुए दिखाई दिए।
- लखनऊ के नवाबों और रईसों के बारे में लेखक की धारणा व्यंग्यपूर्ण और नकारात्मक थी। वह उनकी जीवन-शैली की कृत्रिमता को, दिखावे को पसंद नहीं करता था। उसने आरंभ में ही डिब्बे में बैठे सज्जन को 'नवाबी नस्ल का सफेदपोश' कहा है।
Similar questions
English,
11 hours ago
Computer Science,
22 hours ago
English,
22 hours ago
English,
8 months ago
Math,
8 months ago