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मंज़िल के दीवाने किसके सागर और किसके ध्रुवतारे हैं
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► मंजिल के दीवाने संकल्प के सागर और साहस के ध्रुव तारे हैं।
‘हम पंछी उन्मुक्त गगन के’ कविता में उन लोगों की विशेषता बताई गई है, जो अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते हैं। जिन्हें अपनी मंजिल पाने की धुन सदैव सवार रहती है उन्हें कोई भी बाधा उनका लक्ष्य पाने से नहीं रोक पाती। ऐसे लोग संकल्प के सागर से भरे होते हैं अर्थात मन में संकल्पों की कोई कमी नहीं होती यानि उनके अंदर संकल्पों का अथाह सागर समाया होता है। यह लोग साहस के ध्रुव तारे हैं। ध्रुव तारा अपने आप में एक विशिष्ट तारा होता है। मंजिल के दीवाने लोग भी अपने आप में विशिष्ट होते हैं, जो अपनी धुन के पक्के होते हैं। किसी भी बाधा से नहीं घबराते। बड़ी-बड़ी मुसीबतों का सामना करने के लिए सदैव जाने जाते हैं। ऐसे मंजिल के दीवान लोग अपने भाग्य की रचना स्वयं करते हैं और स्वयं के विधाता होते हैं।
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