Hindi, asked by maykh, 10 months ago

please answer this question
useless answers will be reported
good answers will be marked brainlyest
photo is not required
plzz answer in hindi​

Attachments:

Answers

Answered by Ambika7106
1

Q5. 15 अगस्त 1947, भारतीय इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपू्र्णं दिन था, जब हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत देश के लिये आजादी हासिल की। भारत की आजदी के साथ ही भारतीयों ने अपने पहले प्रधानमंत्री का चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरु के रुप में किया जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे झंडे को पहली बार फहराया। आज हर भारतीय इस खास दिन को एक उत्सव की तरह मनाता है।

Q6. सरदार भगत सिंह का नाम अमर शहीदों में सबसे प्रमुख रूप से लिया जाता है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव (जो अभी पाकिस्तान में है) के एक देशभक्त सिख परिवार में हुआ था, जिसका अनुकूल प्रभाव उन पर पड़ा था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।

सुखदेव (वर्ष 1907-1931) एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी थे, जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी। वह उन महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से हैं, जिन्होंने अपने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। इनका पूरा नाम सुखदेव थापर है और इनका जन्म 15 मई 1907 को हुआ था। इनका पैतृक घर भारत के लुधियाना शहर, नाघरा मोहल्ला, पंजाब में है। इनके पिता का नाम राम लाल था। अपने बचपन के दिनों से, सुखदेव ने उन क्रूर अत्याचारों को देखा था, जो शाही ब्रिटिश सरकार ने भारत पर किए थे, जिसने उन्हें क्रांतिकारियों से मिलने के लिए बाध्य करदिया और उन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन के बंधनों से मुक्त करने का प्रण किया।

राजगुरु का जन्म पुणे के पास खेड ग्राम में ब्रिटिशकालीन भारत में हुआ था। वे हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य थे, जिनका मुख्य उद्देश्य भारत को ब्रिटिश राज से मुक्ति दिलाकर आज़ाद करवाना था। उनके अनुसार महात्मा गांधी द्वारा चलाये जा रहे अहिंसावादी आंदोलनों की तुलना में ब्रिटिश राज के खिलाफ चलाये जा रहे रहे उग्र आंदोलन ज्यादा प्रभावशाली साबित होते थे।

23 मार्च 1931 को, तीन बहादुर क्रांतिकारियों, भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम राजगुरू को फाँसी दी गई, जबकि उनके शरीर का सतलज नदी के किनारे गुप्त रूप से अंतिम संस्कार कर दिया गया। सुखदेव थापर सिर्फ 24 वर्ष के थे, जब वह अपने देश के लिए शहीद हो गए थे। हालांकि, उन्हें हमेशा भारत की आजादी के लिए अपने साहस, देशभक्ति और जीवन त्याग के लिए याद किया जाएगा।

plz mark as BRAINLIST

Similar questions
Math, 10 months ago