Hindi, asked by megharani1829, 6 months ago

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Answered by ankool0790
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विद्यार्थी की अपने शिक्षक से कुछ उम्मीदें होती है तथा जब शिक्षक इन उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तब विद्यार्थी उस शिक्षक को गंभीरता से नहीं लेता है। शिक्षक अपने पढ़ाने के प्रति गंभीर और जिम्मेदार होना चाहिए। बहुत से शिक्षक यह समझ लेते हैं कि विद्यार्थियों को कैसा भी पढ़ा कर अच्छे मार्क्स दे देने पर विद्यार्थी खुश रहते हैं। ऐसे शिक्षकों का यह सोचना बहुत गलत है क्योंकि हो सकता है कि इस तरीके से तात्कालिक रूप से कुछ विद्यार्थी खुश हो जाए परन्तु इसका दूरगामी प्रभाव यह होता है कि वे जीवन भर ऐसे शिक्षकों की इज्जत नहीं करते हैं।

शिक्षक का पढ़ाने का तरीका ऐसा होना चाहिए कि अधिकतर विद्यार्थियों को विषय अच्छी तरह से समझ में आ जाये। ऐसा कोई भी शिक्षक नहीं होता है जो शत प्रतिशत विद्यार्थियों को समझा कर संतुष्ट कर सके परन्तु वह यह कोशिश तो कर ही सकता ही कि असंतुष्ट विद्यार्थियों का अनुपात कम से कम हो।

शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच आपसी मर्यादाओं का भी पूर्ण सम्मान होना चाहिए अर्थात गुरू और शिष्य के सम्बन्ध के अतिरिक्त किसी भी अन्य तरीके का सम्बन्ध नहीं होना चाहिए। आज के जमाने में शिक्षक और विद्यार्थियों के आपसी सम्बन्ध उस तरह के नहीं है जिस तरीके के सम्बन्ध आज से दो तीन दशकों पूर्व हुआ करते थे।

शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य अनुशासन बनाये रखने के लिए उनके मध्य एक दूरी का होना बहुत आवश्यक है। आजकल विद्यार्थियों और शिक्षकों के दरमियान काफी हद तक मित्रवत व्यवहार रहने लगा है जिसका सबसे बड़ा कारण बहुत से शिक्षकों और विद्यार्थियों की आयु में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होना है। जब आयु में अधिक अंतर नहीं होता है तो मित्रवत व्यवहार बनना लाजमी है। यह मित्रवत व्यवहार अनुशासन में बाधा बन सकता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि कम आयु का शिक्षक अच्छा शिक्षक साबित नहीं होता है परन्तु विद्यार्थियों के समान सी आयु वाला शिक्षक विद्यार्थियों से वह दूरी नहीं रख पाएगा जो एक अधिक आयु वाला शिक्षक रख सकता है।

शिक्षकों और विद्यार्थियों के मध्य दूरी घटने के लिए बहुत हद तक सोशल मीडिया भी जिम्मेदार होता है। जो विद्यार्थी जिन शिक्षकों से बात करते कतराते हैं वे सोशल मीडिया पर उनके साथ आसानी से चैटिंग कर लेते हैं एवं उनके लगातार संपर्क में रहते हैं। अतः आज के युग में शिक्षकों और विद्यार्थियों के आपसी सम्बन्ध बहुत हद तक बदल गए हैं। विद्यार्थियों का प्रमुख उद्देश्य येन केन प्रकारेण अच्छे अंकों की प्राप्ति है क्योंकि समाज में अधिक अंक प्राप्त करना ही बुद्धिमान होने की निशानी समझा जाता है।

Answered by muskaan4854
2

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