Hindi, asked by nj397282, 8 months ago

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Answered by vedantAD
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Explanation:

सुख में, दु:ख में, हर मुश्किल में, हंसकर साथ निभाता है

खड़ी दोपहरी में जो सर पर, बनकर छांव बचाता है

अवगुण को जो छांट-छांटकर मन से दूर भगा डाले,

दिल की बात करे जो खुलकर, दोस्त वही कहलाता है

जीवन के झंझावातों का भी, कर निदान जो खड़ा रहे

प्रतिकूल परिस्थिति हो चाहे, कष्टों का पहरा कड़ा रहे

निस्वार्थ परक सम दृष्टि भाव तन-मन से सदा समर्पित हो,

सन्मित्र वही हो सकता है जो, निर्मल दिल का बड़ा रहे

सच्चे विचार का भोगी पथ का, योगी कुशल प्रदर्शक हो

सन्मार्गी स्वयं धैर्य का मालिक, साथी प्रति धर्म निर्देशक हो

कड़वा सत्य मगर हितकर वाणी चाहे अप्रिय बोले,

पर मित्र वही है श्रेष्ठ सदा क्यों कर सलाह ना कर्कश हो

पीठ पृष्ठ निंदा करना है, लक्षण सन्मित्र प्रधान नहीं

रसूख भाव रख मेल-जोल का, कोई भी सुविधान नहीं

मित्रमार्ग में त्याग अपेक्षित बलिहारी दोनों पक्षों की,

सहकारिता समझदारी हो, दोस्ती में अभिमान नहीं

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