Hindi, asked by anuj141, 1 year ago

please explain these poem in hindi

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Answered by Aashu00
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ये कविता सूरदास जी द्वारा रचित है, जिसमें उन्होंने अपने भगवान की महिमा का बड़े ही सुंदर वर्णन किया है।
यह दोहा कक्षा10 में दी गई है, जिसका अर्थभावार्थ :-- जिस पर श्रीहरि की कृपा हो जाती है, उसके लिए असंभव भी संभव हो जाता है। लूला-लंगड़ा मनुष्य पर्वत को भी लांघ जाता है। अंधे को गुप्त और प्रकट सबकुछ देखने की शक्ति प्राप्त हो जाती है। बहरा सुनने लगता है। गूंगा बोलने लगता है कंगाल राज-छत्र धारण कर लेता हे। ऐसे करूणामय प्रभु की पद-वन्दना कौन अभागा न करेगा।
शब्दार्थ :-राई= राजा। पंगु = लंगड़ा। लघै =लांघ जाता है, पार कर जाता है। मूक =गूंगा। रंक =निर्धन, गरीब, कंगाल। छत्र धराई = राज-छत्र धारण करके। तेहि = तिनके। पाई =चरण

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