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*शीर्षक - मेहनत का फल*
रामपुर बहुत ही सुंदर गाँव था परंतु वहाँ रहने वाले लोग बहुत ही आलसी थे। वे लोग बिना परिश्रम किए ही सारी सुविधाएँ पाने के सपने देखते थे। गाँव के सरपंच ये सब देखकर बहुत ही दुखी होते थे। अपने गाँव के लोगों की ऐसी स्थिति देखकर वे सोचने लगे कि ये लोग अगर ऐसे ही आलस करते रहेंगे, तो गाँव की तरक्की होना संभव नहीं है। उनके मन में गाँव के लोगों को सुधारने के लिए एक योजना आई।
कुछ दिनों बाद गाँव में मेला लगा। उस मेले में एक तरफ मिठाइयों, बर्तनों, चाटपकौड़ी खिलौने आदि की दुकानें लगी थीं, तो दूसरी तरफ ऊँचे झूले और सर्कस थे। मेला बहुत ही आकर्षक लगा रहा था। गाँव के सभी लोग इस मेले का आनंद उठाने के लिए बड़े सवेरे ही घर से निकल पड़ें। पड़ोसी गाँव के लोग भी मेला देखने आए थे, इसलिए गाँव में मेला देखने वालों की भीड़ लगगई थी। मेले के प्रवेश द्वार तक जिस संकरी सड़क से होकर जाना था, उस सड़क के बीचोबीच बड़ा सा पत्थर पड़ा था जिसकी वजह से लोगों को मेले में जाने में दिक्कत हो रही थी। छोटे-बड़े सभी लोगों को सड़क पार करते वक्त उस पत्थर से परेशानी हो रही थी पर किसी ने भी आलस के मारे पत्थर हटाने का प्रयास नहीं किया। वहीं पास में ही एक पेड़ के नीचे एक लड़का खड़ा था, जो यह सब बहुत देर से देख रहा था। वह सोचने लगा कि ऐसे ही यह पत्थर बीचोबीच रहा, तो किसी को गंभीर चोट भी आ सकती है। वह लड़का तुरंत दौड़कर वहाँ गया और पत्थर को हटाने लगा। पूरी ताकत लगाने के बाद जैसे ही उसने पत्थर हटाया, उसे पत्थर के नीचे एक चिट्ठी मिली। यह सब देखकर वहाँ खड़े सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए। उसने चिट्ठी खोलकर पढ़ी उसमें लिखा था, 'जो कोई इस पत्थर को हटाएगा, उसे उसकी मेहनत का फल सरपंच देंगे।"चिट्ठी पढ़कर लड़का बहुत खुश हुआ और दौड़कर सरपंच जी के पास गया। सरपंच जी ने इस लड़के को पत्थर हटाते देख लिया था। उन्होंने मेले में सभी को संबोधित करते हुए कहा कि प्रवेश द्वार पर जो पत्थर पड़ा था, वह उन्होंने ही वहाँ रखवाया था। वह यह देखना चाहते थे कि गाँव के लोग इस पत्थर को हटाने का प्रयत्न करते हैं या नहीं, लेकिन इस गाँव के आलसी लोग मेले में जाने के लिए पत्थर से टकराकर गिरते-पड़ते रहें, परंतु पत्थर को हटाने का प्रयास किसी ने भी नहीं किया। उन्होंने कहा कि इसी तरह सभी आलस करेंगे तो एक दिन ऐसा आएगा कि सभी को पेट भरने के लिए भोजन तक मिलना मुश्किल हो जाएगा। अत: अभी अपने आलस व कामचोरी को दूर भगाओ और जिस प्रकार इस बालक ने अपनी मेहनत से पत्थर को हटाया और पुरस्कार का हकदार बना। उसी तरह आप भी मेहनत करके अपने जीवन में तरक्की करो तभी इस गाँव की भी तरक्की होगी। गाँव वाले सरपंच जी कीबात समझ जाते हैं और उनसे वादा करते हैं कि वे अब किसी भी काम को करने में बिल्कुल आलस नहीं करेंगे। सरपंच जी की योजना सफल हो जाती है और वे पुरस्कार के रूप में उस बालक को नगद राशि देते हैं। अब गाँव के सभी लोग कड़ी मेहनत से अपना कार्य करने लगे थे। ये सब देखकर सरपंच जी बहुत ही प्रसन्न थे।
सीख - हमें मेहनत करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
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