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(श्री स्वेट मार्डेन)
कारलाईल कहा करते थे- हितकारी अवसर कभी-कभी क्षण भर के लिए आता है, हम उसे खो देते हैं और महीनों तथा वर्षों का नाश हो जाता है। लाफान्टेन का उपदेश है कि- दौड़ना फिजूल है, अवसर की घड़ियों का सजग होकर उपयोग करो, तुम्हें सफलता मिलेगी। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसी घड़ियाँ आती हैं जिन पर उसके भाग्य का बनना और बिगड़ना निर्भर रहता है। यदि मन उस अवसर पर हिचकिचा गया तो समझिए कि सब कुछ चला गया।
नेपोलियन सर्वोत्कृष्ट अनुकूल समय का बड़ा ध्यान रखता था। उसे अपने हाथ से न जाने देकर वह बड़ी शत्रु सेनाओं पर विजय प्राप्त कर लेता था। उसका कहना है कि पाँच मिनटों का मूल्य न समझने के कारण ही आस्ट्रेलियन हार गये। वाटरलू की लड़ाई में नेपोलियन के हार जाने का कारण भी समय चूक जाना ही था। जनरल ग्राउच समय पर नहीं पहुँचे और उसके लिए नेपोलियन को ठहरना पड़ा, बस, इतनी सी भूल से नेपोलियन कैद हो गया।
‘इसको तो कभी भी कर लेंगे, जिस काम के बारे में यह समझा जाता है वह कभी भी पूर नहीं होता। आज के काम को कल पर टाल देने से एक आलस्य, उपेक्षा एवं निरुत्साह भरी आदत पड़ती है जिसके कारण क्रिया शक्ति कुँठित हो जाती है। टाल देने का मतलब प्रायः छोड़ देना होता है। किसान अषाढ़ में यदि खेत जोतने और बीज बोने के काम को आगे के लिए टालता जाय तो उसकी फसल कैसी पकेगी, यह कहना कठिन है। सर वाल्टर रेले से एक आदमी ने पूछा कि आपने अपने जीवन में इतने महत्वपूर्ण काम किस प्रकार कर डाले? तो उन्होंने कहा- मुझे जो कुछ करना होता है उसे भविष्य के लिए नहीं टालता यही मेरी सफलताओं का रहस्य है।
दौड़ की बाजी में पाँच मिनट देर से दौड़ने वाला मनुष्य क्या कभी बाजी जीत सकता है? जीवन भी एक दौड़ है। जो अवसर चूकता है, जरूरी कामों में टालटूल करता है वह अन्त में निराशा, शोक और सफलता का भागी बनता है। जो विद्यार्थी सोचता है कि- “अभी परीक्षा के बहुत दिन पड़े हैं, इतने पाठ तो थोड़े ही दिनों में याद कर लूँगा। अभी से क्या जल्दी है।” उसका परीक्षा में सफल होना कठिन है। टालटूल के लिए जो बहाने बाजी आज की जा रही है वह आगे भी जारी रहेगी और जब समय बिल्कुल ऊपर आ जायगा तो कुछ करते धरते न बन पड़ेगा।
‘कल’ शैतान का दूत है। इतिहास साक्षी है कि इस ‘कल पर टालने’ की छुरी ने कितने ही प्रतिभावानों के गले काट डाले हैं। कितनों की योजनाएं अधूरी छुड़वाई हैं। कितने “हाय कुछ न कर पाया।” कहते हुए हाथ मलते रह गये। ‘कल’ आलस्य और असमर्थता का द्योतक है। जिस काम को करना आवश्यक है, जिसे करना निश्चित कर लिया है और जो आज किया जा सकता है, उसे कल पर टालना एक भारी भूल है।
एक रेल लाने वाले की घड़ी जरा सुस्त हो जाती है तो दो गाड़ियाँ लड़ जाती हैं। बहुत से अमूल्य जीवन नष्ट हो जाते हैं। एक एजेन्ट समय पर रुपये भेजने में देरी करता है तो एक व्यापारी का दिवाला निकल जाता है, एक दूत पत्र समय पर पहुँचाने से देरी कर देता है और एक निरपराध व्यक्ति सूली पर चढ़ा दिया जाता है।
समय को व्यर्थ न गंवाओ, उत्तम अवसर को मत चूको, जो लाभदायक है उसे आज ही अपनाओ। जो कामकाज हो सकता है उसे कल के लिए मत टालो। उपयोगी अवसर चूक जाने के बाद फिर पछतावा ही रह जाता है।
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अवसर ईश्वर की ओर से मानव को प्रदत्त दुर्लभ व अनुपम उपहार है। प्रभु जिस उद्देश्य से मनुष्य को सुअवसर प्रदान करते हैं, यदि मनुष्य उस अदृश्य सत्ता के संकेतों को समझ जाए और उसका सदुपयोग करे तो जीव व जीवन का कायाकल्प संभव है।
अवसर वह अनमोल मोती है, जिसे हड़पने के लिए विध्वंसक व सर्जक सदैव आतुर रहते हैं। यदि अवसर विध्वंसक के हाथ लगता है तो विनाश, महामारी, अराजकता, अनाचार, पीड़ा, दंश, असंतोष और पश्चाताप बनकर जीवन को पीड़ामय बनाता है, लेकिन यदि यह सर्जक के हाथ लगता है, तो आनंद, उत्साह, जिज्ञासा, संतोष, प्रेरणा, हर्ष, ज्ञान, सुख, शांति, सौहार्द, प्रेम व भाईचारे की आधार भूमि बनता है।
ईश्वर द्वारा प्रदत्त अवसर का सदुपयोग या दुरुपयोग ही हमारे भावी व्यक्तित्व के अच्छे व बुरे होने का निर्धारण करता है। ईश्वर इस धरती पर किसी भी जीव को जीवन व अवसर निर्थक नहीं प्रदान करता। वह हर जीव को श्रेष्ठ कृति के रूप में इस धरती पर अवसर का अनुपम उपहार देकर उतारता है। फिर वह चिंतन कार्य, कर्म, संगति, व्यवहार से इसको निकृष्ट अथवा उत्कृष्ट बनाता चलता है। अवसर उसे महत्व देता है जो अवसर को महत्व देता है। महान चिंतक सफोक्लीज का मत है कि 'अवसर उसकी मदद कभी नहीं करता, जो अपनी मदद नहीं करते।' विवेकशील, कर्मठ व साधक व्यक्ति के सान्निध्य का अवसर ऐतिहासिक स्वर्णिम व स्मरणीय बन जाता है, किंतु निष्क्रिय व निकृष्ट सोच वाले व्यक्ति का साथ या अवसर कलंकित व कंटकाकीर्ण हो जाता है।
अवसर का सदुपयोग कर अध्ययन व श्रम से एक व्यक्ति आइएएस परीक्षा उत्तीर्ण कर सम्मानजनक पद पा लेता है, जबकि इसका दुरुपयोग कर कोई व्यक्ति किसी का कत्ल कर स्वयं को कलंकित कर आजीवन कारावास या मृत्युदंड भी प्राप्त कर सकता है। अवसर तपी व श्रेष्ठ व्यक्ति का साथ पाकर पारसमणि बन जाता है, जबकि गुणहीन व्यक्ति का साथ पाकर कलुषित व दागी हो जाता है। अवसर सदैव बुद्धिमान के पक्ष में रहता है। अवसर उस द्रुतगामी वायुयान या रेलगाड़ी की तरह है, जिसे निश्चित समय पर उस दूरस्थ यात्र के लिए निकलना ही है। श्रम संयोजन कर जो अवसर तक पहुंचता है, उसे वह समय पर अपने निर्धारित गंतव्य पर छोड़ देता है। वहीं जो निष्क्रिय है, हाथ पर हाथ धरे रह जाता है, वह फिर हाथ मलता ही रह जाता है।
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