please give me essay on -
1. प्राकृतिक आपदाएँ ( भूकम्प, बाढ़, सुनामी, आदि)
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महाविनाशकारी सुनामी की उत्पत्ति वस्तुत : समुद्रतल में भूकंप आने से होतीं है । समुद्र के अंदर भूकंप, ज्वालमुर्खो, विस्फोट तथा भू- स्खलन के कारण यदि बड़े स्तर पर पृथ्वी की सतह खिसकती है तो .इससे सतह पर 50 से 100 फीट ऊंची तरंगें 800 कि .मी. .प्रति घंटे की गति से तटों की और दौड़ने लग जाती हैं और पूर्णिमा की रात्रि -को तो यह और भी भयंकर रूस धारण कर लेती हैं । यह प्रकोप 26 दिसंबर 2004 रविवार को अरबों की संपत्ति एवं लाखों लोगों को निगल गया ।
सुनामी शब्द जापानी शब्द है । जापान में अधिक भूकंप आने के कारण वहां के लोगों को बारंबार इस प्रकोप का सामना करना पड़ता है । हिंद महासागर में आए इस सुनामी तूफान ने चार अरब वर्ष पुरानी पृथ्वी पर ऐसी हलचल मचा दी कि इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, अंडमान निकोबार, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल ।
श्रीलंका तथा मालदीव तक. के सारे तटीय क्षेत्रों को तबाही का मुंह देखना पड़ा । मछलियां पकड़कर आजीविका कमाने वाले कई मछुआरे इस प्रलय सरीखी बाढ़ का शिकार बन गए । अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित वायु सेना के अड्डे को तो भयंकर क्षति पहुंची थी तथा सौ से अधिक वायु सेना के जवान अधिकारी वर्ग तथा उनके परिजन काल का ग्रास बन गए । नौ सेना के जलयान बंधी हुई रस्सियों के टूट जाने से तो बच गए किंतु चार नागरिक जहाज क्षतिग्रस्त हो गए । पोर्ट बलेयर हवाई पट्टी को कुछ क्षति पहुंची पर उसकी पांच हजार फीट की पट्टी सुरक्षित होने से राहत पहुंचाने के लिए 14 विमान उतर गए ।
भारतीय विमानों को श्रीलंका एवं मालदीव की सहायता के लिए भेजा गया है । यहां पर सुनामी की तीन मीटर ऊंची तरंगो ने कार निकोबार में एटीसी टावर को भी ध्वस्त कर डाला है पर तत्काल एटीसी की व्यवस्था कर ली गई है । स्पष्ट तौ जाता है कि भूकंप और समुद्री तूफानों ने पृथ्वी पर बहुत परिवर्तन किए है । इन्हीं ने नए-नए द्वीप एवं टापुओं का निर्माण किया है । कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि किसी समय यूरोप एवं अमेरिका मिले हुए थे । समुद्र की तरंगों के बीच के महाद्वीप का अस्तित्व मिटा दिया । भारत में प्राचीन द्वारिका समुद्र में डूब गई थी । इस बात के प्रमाण मिलते है ।
जापान के सहस्त्रों मील पूर्व में हवाई द्वीप अमेरिका का अंग है परन्तु उसकी गणना अलग क्षेत्र में की जाती है । -इस प्रकार दक्षिण में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड एशिया के .सहस्रों मील दूर है । इनके वासी भूरी कहां से आए थे? दक्षिणी अमेरिका में रहने वाले असली लोग कहां से आए थे? सुनामी आपदा हमारी प्रबंधन की कमजोरी को उजागर करती है जिसने पृथ्वी को उसकी धुरी पर फिकरी की तरह नचाकर एशिया महाद्वीप का मानचित्र सदा के लिए परिवर्तित करके रख दिया ।
यू .एस. जियोलाजिकल सर्वे के विशेषज्ञ केन हडनर के अनुसार सुमात्रा द्वीप से 250 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में समुद्र तल के नीचे आए इस भूकंप की तीब्रता रिक्टर पैमाने पर 9 के लगभग की थी । यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसमें कई छोटे-छोटे द्वीपों को 20 – 20 मीटर तक अपने -स्थान से हिलाकर रख दिया । सुनामी एवं अन्य प्राकृतिक प्रकोपों के विशेषज्ञ अमेरिकी भूवैज्ञानिक टैड मूर्ति के कथनानुसार इस प्रलयकारी भूकंप में समुद्र के नीचे भारतीय प्लेट, बर्मा प्लेट के नीचे खिसक गई जिससे यह भयंकर भूकंप आया । यदि एशिया अथवा भारत के क्षेत्र में कहीं भी महासागर की तलहटी में होने वाली भूगर्भीय हलचलों के आकलन की चेतावनी प्रणाली विकसित होती तो इस त्रासदी से पहले बड़ी संख्या में हुई जान-माल की क्षति को कम किया जा सकता था ।
हालांकि प्रशांत महासागर के तल में होने वाले भूगर्भीय हलचलों के आकलन के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित की जा चुकी है किंतु हिंद महासागर इस प्रणाली से वंचित है । वैसे तो इस प्राकृतिक प्रकोप को रोक पाना मानवं एवं यंत्रों के वश में नहीं है फिर भी यथासे भव सूचना देकर बचने की कुछ व्यवस्था तो की (जा सकती है । यद्यपि इस सुनामी लहरों की जानकारी उसके उठने से एक घंटा पूर्व ही अर्थात् 7 बजकर 5० मिनट पर भारतीय वायुसेना के प्रमुख को मिल चुकी थी कि कार निकोबार का वायुसेना बेस जलमग्न हो चुका है तथापि इसके 41 मिनट बाद मौसम विभाग ने इस विनाशकारी समुद्री हलचल की खबर दी ।
यदि समय पर चेतावनी मिली होती तो इतनी जानें न जातीं । रविवार के दिन भारत में आया यह सुनामी भूकंप एक नया अनुभव था । किंतु 17 जुलाई, 1998 में प्रशांत महासागर में आई सुनामी तरंगों ने पापुआन्यूगिनी में 25०० और 23 अगस्त, 1996 को फिलीपेस में 800 लोगों को अपने प्रागों से हाथ धोने पड़े । यह जानकारी भारतीय मौसम विभाग के पास होते हुए हम यह कल्पना नहीं कर पाए कि यदि सुनामी तरंगें हिन्द महासागर में उठें तो उनसे भारत के तटीय क्षेत्रों की दशा कैसी हो सकती है ।
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सुनामी शब्द जापानी शब्द है । जापान में अधिक भूकंप आने के कारण वहां के लोगों को बारंबार इस प्रकोप का सामना करना पड़ता है । हिंद महासागर में आए इस सुनामी तूफान ने चार अरब वर्ष पुरानी पृथ्वी पर ऐसी हलचल मचा दी कि इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, अंडमान निकोबार, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल ।
श्रीलंका तथा मालदीव तक. के सारे तटीय क्षेत्रों को तबाही का मुंह देखना पड़ा । मछलियां पकड़कर आजीविका कमाने वाले कई मछुआरे इस प्रलय सरीखी बाढ़ का शिकार बन गए । अंडमान निकोबार द्वीप समूह में स्थित वायु सेना के अड्डे को तो भयंकर क्षति पहुंची थी तथा सौ से अधिक वायु सेना के जवान अधिकारी वर्ग तथा उनके परिजन काल का ग्रास बन गए । नौ सेना के जलयान बंधी हुई रस्सियों के टूट जाने से तो बच गए किंतु चार नागरिक जहाज क्षतिग्रस्त हो गए । पोर्ट बलेयर हवाई पट्टी को कुछ क्षति पहुंची पर उसकी पांच हजार फीट की पट्टी सुरक्षित होने से राहत पहुंचाने के लिए 14 विमान उतर गए ।
भारतीय विमानों को श्रीलंका एवं मालदीव की सहायता के लिए भेजा गया है । यहां पर सुनामी की तीन मीटर ऊंची तरंगो ने कार निकोबार में एटीसी टावर को भी ध्वस्त कर डाला है पर तत्काल एटीसी की व्यवस्था कर ली गई है । स्पष्ट तौ जाता है कि भूकंप और समुद्री तूफानों ने पृथ्वी पर बहुत परिवर्तन किए है । इन्हीं ने नए-नए द्वीप एवं टापुओं का निर्माण किया है । कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि किसी समय यूरोप एवं अमेरिका मिले हुए थे । समुद्र की तरंगों के बीच के महाद्वीप का अस्तित्व मिटा दिया । भारत में प्राचीन द्वारिका समुद्र में डूब गई थी । इस बात के प्रमाण मिलते है ।
जापान के सहस्त्रों मील पूर्व में हवाई द्वीप अमेरिका का अंग है परन्तु उसकी गणना अलग क्षेत्र में की जाती है । -इस प्रकार दक्षिण में आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड एशिया के .सहस्रों मील दूर है । इनके वासी भूरी कहां से आए थे? दक्षिणी अमेरिका में रहने वाले असली लोग कहां से आए थे? सुनामी आपदा हमारी प्रबंधन की कमजोरी को उजागर करती है जिसने पृथ्वी को उसकी धुरी पर फिकरी की तरह नचाकर एशिया महाद्वीप का मानचित्र सदा के लिए परिवर्तित करके रख दिया ।
यू .एस. जियोलाजिकल सर्वे के विशेषज्ञ केन हडनर के अनुसार सुमात्रा द्वीप से 250 किलोमीटर दक्षिण पूर्व में समुद्र तल के नीचे आए इस भूकंप की तीब्रता रिक्टर पैमाने पर 9 के लगभग की थी । यह भूकंप इतना शक्तिशाली था कि इसमें कई छोटे-छोटे द्वीपों को 20 – 20 मीटर तक अपने -स्थान से हिलाकर रख दिया । सुनामी एवं अन्य प्राकृतिक प्रकोपों के विशेषज्ञ अमेरिकी भूवैज्ञानिक टैड मूर्ति के कथनानुसार इस प्रलयकारी भूकंप में समुद्र के नीचे भारतीय प्लेट, बर्मा प्लेट के नीचे खिसक गई जिससे यह भयंकर भूकंप आया । यदि एशिया अथवा भारत के क्षेत्र में कहीं भी महासागर की तलहटी में होने वाली भूगर्भीय हलचलों के आकलन की चेतावनी प्रणाली विकसित होती तो इस त्रासदी से पहले बड़ी संख्या में हुई जान-माल की क्षति को कम किया जा सकता था ।
हालांकि प्रशांत महासागर के तल में होने वाले भूगर्भीय हलचलों के आकलन के लिए चेतावनी प्रणाली विकसित की जा चुकी है किंतु हिंद महासागर इस प्रणाली से वंचित है । वैसे तो इस प्राकृतिक प्रकोप को रोक पाना मानवं एवं यंत्रों के वश में नहीं है फिर भी यथासे भव सूचना देकर बचने की कुछ व्यवस्था तो की (जा सकती है । यद्यपि इस सुनामी लहरों की जानकारी उसके उठने से एक घंटा पूर्व ही अर्थात् 7 बजकर 5० मिनट पर भारतीय वायुसेना के प्रमुख को मिल चुकी थी कि कार निकोबार का वायुसेना बेस जलमग्न हो चुका है तथापि इसके 41 मिनट बाद मौसम विभाग ने इस विनाशकारी समुद्री हलचल की खबर दी ।
यदि समय पर चेतावनी मिली होती तो इतनी जानें न जातीं । रविवार के दिन भारत में आया यह सुनामी भूकंप एक नया अनुभव था । किंतु 17 जुलाई, 1998 में प्रशांत महासागर में आई सुनामी तरंगों ने पापुआन्यूगिनी में 25०० और 23 अगस्त, 1996 को फिलीपेस में 800 लोगों को अपने प्रागों से हाथ धोने पड़े । यह जानकारी भारतीय मौसम विभाग के पास होते हुए हम यह कल्पना नहीं कर पाए कि यदि सुनामी तरंगें हिन्द महासागर में उठें तो उनसे भारत के तटीय क्षेत्रों की दशा कैसी हो सकती है ।
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