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1. भाषा की वह छोटी से छोटी ध्वनि जिसके टुकड़े न किया जा सके उन्हें वर्ण कहते है | जब हम कुछ बोलते है तब जो हमारे मुख से जो ध्वनियों का उच्चारण होता है. इन ध्वनियों को जब हम लिखित रूप देते है. तब इन्हें वर्ण कहा
2. Anunasik (अनुनासिक): इससे पहले लेख में हमने अनुस्वार के बारे में जाना था। इस लेख में हम अनुनासिक के बारे में जानेंगे कि अनुनासिक किसे कहते हैं? अनुनासिक का प्रयोग कहाँ होता है? अनुनासिक की जगह कब अनुस्वार का प्रयोग किया जाता है? अनुनासिक और अनुस्वार में क्या अंतर है?
अनुनासिक की परिभाषा
जिन स्वरों के उच्चारण में मुख के साथ-साथ नासिका की भी सहायता लेनी पड़ती है। अर्थात् जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है वे अनुनासिक कहलाते हैं।
इनका चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) है।
2.b जिस प्रकार अनुनासिक की परिभाषा में बताया गया है कि जिन स्वरों का उच्चारण मुख और नासिका दोनों से किया जाता है, वे अनुनासिक कहलाते हैं और इन्हीं स्वरों को लिखते समय इनके ऊपर अनुनासिक के चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) का प्रयोग किया जाता है।
यह ध्वनि (अनुनासिक) वास्तव में स्वरों का गुण होती है। अ, आ, उ, ऊ, तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक लगता है।
जैसे -
कुआँ, चाँद, अँधेरा आदि।
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