Please give me the summary of ek aaur bhoot in hindi.
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बहादुरगंज ,पुराना कस्बा ठाकुर मुख़्तार सिंह की जागीर थी। एक दिन उसको मामूली बुखार आया और उसकी मृत्यु हो गई। जागीरदार सिंह (ठाकुर की बुआ के लड़के) और बिन्दादीन (रसोइया) ने मुख्तारसिंह को दवा की जगह जहर दे दिया था। ठाकुर के मरते ही इस दोनों ने हवेली की सारी चीज़े लूट ली। जागीरदार सिंह ताला-चाबी लेकर हवेली गए पर उसकी वहा मृत्यु हो गई। डॉक्टर ने इसकी वजह ‘हार्ट एटेक’ बताई। बिन्दादीन को बी बुखार हुआ और छ्ठे दिन वो भी मर गया। लोगो में खबर फैल गई की ये सब ठाकुर के भूत ने बदला लेने के लिए किया है। इस बात को ८०-९० साल हो गए थे।
छुट्टियों में राजीव,संदीप,विक्रम,नारायण और नत्थू घूम रहे थे। वे थककर हवेली के पास के पीपल के निचे बैठ गए।
सब वहाँ के भूत की बाते करने लगे। विक्रम विश्वास नहीं कर रहा था। पीपल के पतों में फड़फड़ाहट हुई। सब डर गए। पर वो उड़ते चील की वजह से थी। विक्रम भूत का मजाक बनाता था। कहि भूत ने सुन लिया तो ये सोचकर सब डरकर घर चले गए। सब ने अपनी माँ से डांट खाई।
चारो दोस्त को आशंका थी की कई भूत ने विक्रम की बाते सुन ली होगी तो? विक्रम को कुछ हो गया तो ? विक्रम ठीक तो है ना ये जानने के लिए वे उसके घर गए। विक्रम के घर के बार ६ -७ लोग खड़े थे। विक्रम उसको कागज़ दे रहा था। ये देखकर चारो दोस्त स्तब्ध रह गए। पांचो में भूत को लेकर बात चित हुई। फिर चारो अपने घर चले गए। विक्रम ने साइंस टीचर भवानी मिश्र को पुरी घटना बताई। विक्रम ने टीचर को पूछा की क्या भूत होते है ? टीचर ने बताया की अंधविश्वास से देखो तो भूत है और विज्ञानं के आधार पर नहीं है। विज्ञान सत्य पर विश्वास करता है। लोगो से अंधविश्वास मिटाना आसान काम नहीं है। विक्रम ने उसी रत हवेली में जाने की ठान ली।
रात को विक्रम मोमबत्ती ,माचिस और टॉर्च लेकर हवेली की ओर अकेला निकल पड़ा । पीपल के पेड़ से आवाज आई पर वे सफेद उल्लू की थी। वह बहुत न मिलने पर हवेली गया। वह एक लाला साँप देखा। वह अपना फैन समेटकर निचे पत्थरो में जा रहा था। झींगुरो की आवाज सुनाई दे रही थी। विक्रम हिम्मत से सारी हवेली की छान-बिन कर रहा था। आवाजों को ध्यान से सुन रहा था। तभी उसको दो बड़ी बड़ी आंखे दिखाई दी।
विक्रम ने पूछा कोन हो तुम ? देखा तो वह जंगली खरगोश था। कोई उसकी मौजूदगी न जान सके इसलिए उसने टॉर्च बंद कर दी। तब इंसान जैसी खांसी की आवाज सुनाई दी। मुड़कर देखा तो एक सफेद शक्ल दिखाई दी। टॉर्च चालू करने जा रहा था तभी आवाज़ सुनाई दी – “मैंने अपनी शक्ति से टार्च बंद कर दी हे। उसे जलाना बेकार हे। उसने बताया की मै मुख़्तार सिंह का भूत हूँ।” भूत विक्रम, उसके पापा और दादा के बारे में सबकुछ जानता था। दोनों में बातचीत हुई। विक्रम को बहुत शांत लगा। थोड़ी देर बाद वे गायब हो गया।