Please give me written explanation for this poem
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sorry I can't write such a big answer so give me sometime
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This discussion on हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल। हम नवीन भारत के सैनिक, धीर, वीर, गंभीर अचल। हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग को लेते हैं। हम हैं, शांति-दूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं। वीर-प्रसू माँ की आँखों के, हम नवीन उजियाले हैं। गंगा-यमुना, हिंदमहासागर, के हम रखवाले हैं। हम शिवा-प्रताप, रोटियां भले घास की खाएँगे। मगर किसी के जुल्म के आगे, मस्तक नहीं झुकाएँगे।? is done on EduRev Study Group by Class 6 Students. The Questions and Answers of हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल। हम नवीन भारत के सैनिक, धीर, वीर, गंभीर अचल। हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग को लेते हैं। हम हैं, शांति-दूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं। वीर-प्रसू माँ की आँखों के, हम नवीन उजियाले हैं। गंगा-यमुना, हिंदमहासागर, के हम रखवाले हैं। हम शिवा-प्रताप, रोटियां भले घास की खाएँगे। मगर किसी के जुल्म के आगे, मस्तक नहीं झुकाएँगे।? are solved by group of students and teacher of Class 6, which is also the largest student community of Class 6. If the answer is not available please wait for a while and a community member will probably answer this soon. You can study other questions, MCQs, videos and tests for Class 6 on EduRev and even discuss your questions like हम प्रभात की नई किरण हैं, हम दिन के आलोक नवल। हम नवीन भारत के सैनिक, धीर, वीर, गंभीर अचल। हम प्रहरी उँचे हिमाद्रि के, सुरभि स्वर्ग को लेते हैं। हम हैं, शांति-दूत धरणी के, छाँह सभी को देते हैं। वीर-प्रसू माँ की आँखों के, हम नवीन उजियाले हैं। गंगा-यमुना, हिंदमहासागर, के हम रखवाले हैं। हम शिवा-प्रताप, रोटियां भले घास की खाएँगे। मगर किसी के जुल्म के आगे, मस्तक नहीं झुकाएँगे।