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बीरबल की खिचड़ी की कहानी
बादशाह ने उसका जवाब सुनकर कहा- इसका मतलब तो यह हुआ कि रोशनी की आंच के कारण ही तुम सारी रात पानी में खडे रह सके, इसलिए तुम इनाम के सच्चे हकदार नहीं हो सकते। धोबी उदास हो गया और बीरबल के पास जाकर निराश भरे स्वर में बोला — दरबार में बादशाह ने इनाम देने से इनकार कर दिया है। आप कृपा करके मुझे मेरा इनाम दिलवा दें, बीरबल की खिचड़ी की कहानी।
धोबी ने ली बीरबल की सहायता
धोबी ने इसका कारण भी बीरबल को बता दिया, बीरबल ने गरीब धोबी को सात्वंना देकर घर भेज दिया। अगले दिन बादशाह ने बीरबल को दरबार में न पाकर एक पहरेदार को उन्हें बुलाने के लिए भेजा, पहरेदार ने आकर सूचना दी, बीरबल ने कहा हैं कि जब उनकी खिचडी पुरी पक जायेगी तभी वह दरबार में आ सकेंगे.
बादशाह अकबर को यह सुनकर बडा आश्चर्य हुआ, वह अपने दरबारीयों को लेकर बीरबल के घर पहूंचा। वहां उन्होंने देखा कि दो लंबे बांसों के उपर एक हंडियां में चावंल डालकर उसे लटकाया गया है और नीचे जमीन पर आग जल रही है. बादशाह ने तत्काल पूछा- यह क्या तमाशा है — बीरबल. इतनी दूर रखी हंडिया में खिचडी पक जायेगी ?.. हूजुर जरूर पक जायेगी। बीरबल ने उत्तर दिया.
कैंसे ? बादशाह ने कोतुहलवश पूछा — जहापनाह बिलकुल वैसे ही जैसे महल के उपर जल रहे दिये की गर्मी के कारण धोबी सारी रात नदि के पानी में खडा रह सकता हैं. सोचिये अगर वह धोबी इतनी दुरी पर से भी दिए से गर्मी ले सकता हैं, तो फिर यह खिचड़ी क्यों नहीं पक सकती, यह तो उससे भी नजदीक हैं — बीरबल ने कहा. बादशाह अकबर बीरबल का यह तर्क संगत उत्तर सुनकर लज्जित हुए उन्होंने तुरंत धोबी को ढुंढ लाने और पुरस्कृत करने का आदेश जारी कर दिया.
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