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सर्वनाम के कितने भेद हैं?
सर्वनाम क्या है; पहले हम यह जानते हैं।
संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किए जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहा जाता है। सर्वनाम किसी वाक्य में संज्ञा की बार बार पुनरावृत्ति होने को रोककर वाक्य को खूबसूरती प्रदान करता है।
एक उदाहरण देखिए :-
रोहन एक अच्छा लड़का है।
रोहन अपने माता पिता का हमेशा ध्यान रखता है।
रोहन अपने से बड़ों की इज्जत करना जानता है।
यहाँ पर रोहन संज्ञा है। तीनों वाक्यों में उसका नाम लिया जा रहा है,जिससे उसके नाम की बार बार पुनरावृत्ति हो रही है।
अब हम सर्वनाम का प्रयोग करेंगे तो वाक्य ऐसा होगा और वाक्यों में निरंतरता बनी रहेगी।
रोहन एक अच्छा लड़का है। वह अपने माता पिता का हमेशा ध्यान रखता है। उसे अपने से बड़ों की इज्जत करना आता है।
सर्वनाम का प्रयोग से हम वाक्यों को अच्छी तरह से लिख सकते हैं।
मूल रूप से सर्वनाम की संख्या गयारह होती है।
मैं, तू ,आप , यह , वह , जो ,सो ,कौन ,कोई , कहाँ ,कुछ।
सर्वनाम के छह भेद होते हैं।
1 ) पुरूषवाचक सर्वनाम:- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा खुद के लिए, या दूसरों के लिए किया जाता है उसे पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे :-
मैं ,हम,हमारा, हमारी ,मेरा, मेरी ,हमें ( वक्ता के लिए) इसे उत्तम पुरूष कहा जाता है ।
तुम , आप , तुम्हारा, आपका( सुनने वाले के लिए) मध्यम पुरूष कहा जाता है।
यह,वह,ये,वो उसका,उनका ( किसी अन्य के लिए) अन्य पुरूष कहा जाता है। उदाहरण :-
मैं घर जा रहा हूँ।
आजकल आप क्या करते हैं।
तुम क्या पढ़ाई कर रहे हो।
वह बहुत ही कुशाग्र बुद्धि का है।
यहाँ पर उत्तम पुरूष, मध्यम पुरूष और अन्य पुरुष तीनों वाक्यों का प्रयोग हुआ है।
2 ) निजवाचक सर्वनाम :- जिन शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा किसी चीज को अपने साथ जोड़ कर दर्शाता हो,उसे निजवाचक सर्वनाम कहा जाता है। जैसे :-
मैं खुद अपना होमवर्क कर लूंगा।
मैं स्कूल अपने आप चला जाऊँगा।
इन वाक्यों में व्यक्ति द्वारा निजता का भाव है।
3 ) निश्चयवाचक सर्वनाम :- जिन सर्वनाम शब्दों में किसी व्यक्ति, वस्तु, या स्थान की निश्चितता का बोध हो उसे निश्चय वाचक सर्वनाम कहा जाता है। इसमें उत्तम पुरूष, मध्यम पुरूष और अन्य पुरुष तीनो रूपों का प्रयोग होता है। जैसे :-
यह किताब मेरी है।
वह दुकान तुम्हारी है।
वो कपड़े उसके हैं।
यहां पर किसी भी वाक्य से वस्तु की निश्चितता पता चलता है।
4 ) अनिश्चयवाचक सर्वनाम :- जिन सर्वनाम शब्दों से वस्तु, स्थान या व्यक्ति की निश्चितता का बोध नहीं होता है, वह अनिश्चय वाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे :- कोई ,कुछ
मुझे कुछ खाना है।
लगता है आज कोई आने वाला है।
मुझे कुछ नज़र नहीं आ रहा है।
यहाँ हर वाक्य में एक अनिश्चित रूप है। पर इन शब्दों का भी प्रयोग हम हमेशा करते हैं।
5 ) प्रश्नवाचक सर्वनाम:- जिन सर्वनाम शब्दों से किसी प्रश्न के पूछे जाने का बोध हो उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे :- कौन, कब ,क्या कहाँ।
देखो दरवाजे पर कौन खड़ा है?
तुम कॉलेज कब जाओगे ?
आपने आज क्या पढ़ाई की ?
तुम कहाँ जा रहे हो ?
यहाँ पर सारे वाक्य से प्रश्न जुड़ा हुआ है।
6 ) संबन्धवाचक सर्वनाम :- जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी वस्तु या व्यक्ति से संबंध बताने रे लिए किया जाए तो वह संबंध वाचक सर्वनाम कहलाता है। जैसे :- जो ,सो ,जैसा ,वैसा
जैसी करनी वैसी भरनी।
जो जैसा करेगा वो वैसा ही पाएगा।
यहाँ पर वाक्यों में एक दूसरे के साथ संबंध का पता चलता है।
इस उत्तर में मैने सर्वनाम क्या है? और उसके कितने भेद हैं,उनका उदाहरण सहित वर्णन किया है