please give the meaning. कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर ॥ fastly
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इस दोहे का अथॆ कुछ इस प्रकार है।
कबीर कहते हैं कि वे लोग अंधे हैं जो गुरु की इज्जत नहीं करते हैं क्योंकि अगर हमसे भगवान रूठ गए तो हम गुरु की शरण ले लेंगे।
लेकिन अगर गुरु रूठ गए तो हमारे लिए कहीं भी जगह नहीं होगी।
I hope it helps you.
कबीर कहते हैं कि वे लोग अंधे हैं जो गुरु की इज्जत नहीं करते हैं क्योंकि अगर हमसे भगवान रूठ गए तो हम गुरु की शरण ले लेंगे।
लेकिन अगर गुरु रूठ गए तो हमारे लिए कहीं भी जगह नहीं होगी।
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कबीरा ते नर अन्ध है, गुरु को कहते और।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रुठै नहीं ठौर।।
भावार्थ — कबीरदास जी कहते हैं कि गुरु का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए। वह लोग आँखें होते हुए भी अंधे के समान हैं, जो गुरु का अनादर करते हैं। यदि ईश्वर रूठ जाते हैं तो गुरु की शरण में जाया जा सकता है और गुरु सही राह दिखाकर दिखा स्थिति को संभाल सकता है। लेकिन यदि गुरु रुठ जाए तो कहीं भी शरण नहीं मिलेगी। इस दुनिया में कहीं भी कोई ठिकाना नहीं मिलेगा। गुरु को रुष्ट करना सबसे बड़ा पाप है, जो गुरु का अनादर करके उनको रुष्ट करता है, उसे ईश्वर भी शरण नही देते। इसलिए गुरु का अनादर कभी नहीं करना चाहिए ना ही ऐसा कोई कार्य करना चाहिये जिससे गुरु रूठे।
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